उत्तराखंड: अब उर्दू नहीं संस्कृत में लिखे होंगे रेलवे स्टेशनों के नाम, 2 मिनट में पढ़िए पूरी खबर
रेलवे स्टेशनों का नाम संस्कृत में लिखने का फैसला रेलवे मैन्युअल को ध्यान में रखते हुए लिया गया है...
Jan 19 2020 12:59PM, Writer:कोमल नेगी
देवभूमि उत्तराखंड...आध्यात्म और धार्मिक पर्यटन मशहूर इस जगह के देवत्व का अहसास अब देवभूमि में कदम रखते ही होने लगेगा। यहां के रेलवे स्टेशनों में एक बड़ा बदलाव होने जा रहा है। उत्तराखंड के रेलवे स्टेशनों के नाम अब उर्दू में नहीं बल्कि संस्कृत में लिखे नजर आएंगे। स्टेशनों का नाम संस्कृत में लिखने का फैसला रेलवे का है। यानि देहरादून अब देहरादूनम् हो जाएगा, हरिद्वार होगा हरिद्वारम् और रूड़की को रूड़कीः लिखा जाएगा। रेलवे अधिकारियों ने बताया कि रेलवे स्टेशनों का नाम संस्कृत में लिखने का फैसला रेलवे मैन्युअल को ध्यान में रखते हुए लिया गया है। रेलवे मैन्युअल में क्या लिखा है, ये भी बताते हैं। मैन्युअल के मुताबिक रेलवे स्टेशनों का नाम हिंदी, अंग्रेजी और राज्य की दूसरी राजकीय भाषा में लिखा जाना चाहिए। उत्तराखंड की दूसरी राजकीय भाषा संस्कृत है, वैसे इसके बारे में लोग कम ही जानते हैं। अब रेलवे ने तीसरी भाषा बदलने का फैसला लिया है। इसके मुताबिक स्टेशनों के नाम हिंदी, अंग्रेजी और राज्य की दूसरी राजकीय भाषा में होंगे।
यह भी पढ़ें - उत्तराखंड पुलिस की महिला अफसर नीमा रावत को बधाई, देहरादून में मिली बड़ी जिम्मेदारी
अपने राज्य में दूसरी राजकीय भाषा संस्कृत है, इसीलिए नाम संस्कृत में होंगे। संस्कृत राज्य की दूसरी राजकीय भाषा कब बनी, आपको इसके बारे में भी जानना चाहिए। साल 2010 में निशंक सरकार ने संस्कृत को दूसरी राजकीय भाषा का दर्जा दिया था। उत्तराखंड संस्कृत को दूसरी राजकीय भाषा बनाने वाला देश का पहला प्रदेश है। साल 2019 में हिमाचल सरकार ने भी संस्कृत को राज्य की दूसरी राजभाषा बनाया। रेलवे के नए फैसले के बाद अब रेलवे स्टेशनों के नाम हिंदी, अंग्रेजी और संस्कृत में लिखे जाएंगे। इससे पहले स्टेशनों के नाम उर्दू में लिखे जाते थे, क्योंकि उत्तराखंड उत्तर प्रदेश का हिस्सा था। इसीलिए दूसरी भाषा के तौर पर उर्दू इस्तेमाल हो रही थी। दस साल बाद आखिरकार रेलवे स्टेशनों के नाम संस्कृत में लिखने की कवायद शुरू हो गई है। इसके साथ ही एक नई चुनौती भी रेलवे के सामने है। रेलवे को हर स्टेशन के नाम का संस्कृत में अनुवाद करना होगा। इसके लिए रेलवे ने राज्य के जिलाधिकारियों को लेटर भेजकर स्टेशनों की हिंदी, अंग्रेजी और संस्कृत में सही स्पेलिंग पूछी है। जवाब मिलते ही आगे की कार्यवाही शुरू कर दी जाएगी।