image: dasholi Uttarakhand where ravana did his prayer

देवभूमि का रहस्यों से भरा कुंड, यहां रावण ने भगवान शिव को दी अपने 9 सिरों की आहुति

अलकनंदा और मन्दाकिनी नदियों के संगम पर बसा नंदप्रयाग पांच धार्मिक प्रयागों में से दूसरा प्रयाग है। यहां वो जगह आज भी मौजूद है, जहां रावण ने भगवान शिव की तपस्या की थी, हवनकुंड में अपने 9 सिरों की आहुति दी थी...
Feb 22 2020 1:59PM, Writer:komal

देवभूमि उत्तराखंड...कहते हैं यहां कण-कण में शिव निवास करते हैं। ये भूमि शिव और उनके भक्तों की भूमि है। यहीं पर एक जगह है दशोली। कहते हैं ये वही जगह है, जहां रावण ने भगवान शिव की तपस्या की थी। नंदप्रयाग में आज भी वो कुंड मौजूद है, जहां पौराणिक काल के सबूत मिलते हैं। अलकनंदा और मन्दाकिनी नदियों के संगम पर बसा नंदप्रयाग पांच धार्मिक प्रयागों में से दूसरा है। पहला प्रयाग है विष्णुप्रयाग, फिर नंदप्रयाग, देवप्रयाग, रुद्रप्रयाग और आखिर में आता है कर्णप्रयाग। हरे-भरे पहाड़ और नदियों से घिरे नंदप्रयाग में आध्यात्मिक सुकून मिलता है। ये शहर बदरीनाथ धाम के पुराने तीर्थमार्ग पर स्थित है। यहीं से 10 किलोमीटर दूर स्थित है बैरास कुंड। कहते हैं इस जगह रावण ने अपने अराध्य भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए तपस्या की थी। अपनी ताकत दिखाने के लिए रावण ने कैलाश पर्वत को उठा लिया था। रावण ने यहीं पर अपने 9 सिरों की बलि दी थी। तब से इस जगह को दशोली कहा जाने लगा। यहां बैरास कुंड के पास महादेव का मंदिर भी है। जिसका जिक्र केदारखंड और रावण संहिता में भी मिलता है। पौराणिक काल में इसे दशमौलि कहा जाता था। बैरास कुंड महादेव मंदिर में पूजा-अर्चना करने से हर मनोकामना पूरी होती है। शिवरात्रि और श्रावण मास के अवसर पर यहां दूर-दूर से श्रद्धालु पहुंचते हैं। स्कंद पुराण के केदारखंड में दसमोलेश्वर के नाम से बैरास कुंड क्षेत्र का उल्लेख किया गया है। बैरास कुंड में जिस स्थान पर रावण ने शिव की तपस्या की वह कुंड, यज्ञशाला और शिव मंदिर आज भी यहां विद्यमान है। बैरास कुंड के अलावा नंदप्रयाग का संगम स्थल, गोपाल जी मंदिर और चंडिका मंदिर भी प्रसिद्ध है। देवभूमि में स्थित शिव के धामों में इस जगह का विशेष महत्व है। यहां पुरातत्व महत्व की कई चीजें मिली हैं। कुछ समय पहले यहां खेत की खुदाई के दौरान एक कुंड मिला था। इस जगह का संबंध त्रेता युग से जोड़ा जाता है। पुराणों में भी रावण के हिमालय क्षेत्र में तप करने का उल्लेख मिलता है।
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