image: Know about phooldei festival

उत्तराखंड को फुलारी पर्व की बधाई, जानिए क्यों मनाते हैं ये त्योहार..देखिए दो खूबसूरत वीडियो

उत्तराखंड के लोक जीवन में प्रकृति का विशेष महत्व है, इसी प्रकृति के सम्मान का पर्व है फूलदेई phooldei festival ...होली के बाद मनाए जाने वाले इस पर्व को प्रकृति उत्सव के तौर पर मनाया जाता है...इस बारे में जानिए और ये दो खूबसूरत वीडियो भी देखिए
Mar 14 2020 12:36PM, Writer:कोमल नेगी

प्रकृति के बिना मनुष्य का कोई अस्तित्व नहीं। ये प्रकृति ही है, जो हमें खुद से जोड़े रखती है। उत्तराखंड के लोक जीवन में प्रकृति का विशेष महत्व है, इसी प्रकृति के सम्मान का पर्व है फूलदेई phooldei festival ...होली के बाद मनाए जाने वाले इस पर्व को प्रकृति उत्सव के तौर पर मनाया जाता है। उत्तराखंड के लोक जीवन में, यहां की संस्कृति में फूलदेई की खास जगह है। आज लोगों को पर्यावरण बचाने के लिए अभियान चलाने पड़ रहे हैं, लेकिन उत्तराखंड में ये मुहिम सदियों से चली आ रही है। बच्चों को फूलदेई के माध्यम से पहाड़ से, पेड़-पौधों, फूल-पत्तियों और नदियों से प्रेम करने की सीख दी जाती है। फूलदेई की परंपरा लोकगीतों के जरिए एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक पहुंचती रही। ‘नई डाली पैय्यां जामी, देवतों की डाली’, ‘तुमरि देहरियों रौ बसंत फूलों का बग्वान’, ‘फूलदेई, छम्मा देई’ जैसे कई लोकगीत हैं, जो फूलदेई पर्व और इसकी पवित्रता का बखान करते हैं। आगे देखिए दो खूबसूरत वीडियो

पर्वतीय इलाकों में फूलदेई phooldei festival या फुलसंग्राद बड़े उत्साह से मनाया जाता है। ये नए साल के आगमन पर खुशी जताने का पर्व है। जिसे बसंत ऋतु के मौसम में मनाया जाता है। गढ़वाल में यह पर्व पूरे एक महीने तक मनाया जाएगा। फूलदेई की शुरुआत 14 मार्च से हो रही है। 14 मार्च से 14 अप्रैल तक हर तरफ फूलदेई का उल्लास देखने को मिलेगा। फूलदेई पर गांव के छोटे बच्चे सुबह-सुबह उठकर अपनी टोकरियों में अलग-अलग तरह के फूल इकट्ठे करते हैं। इन फूलों को गांव के हर घर की देहरी पर बिखेर कर लोगों के सुख और समृद्धि की कामना की जाती है। बच्चे जब एक सुर में फूलदेई के लोकगीत गाते हैं तो पूरा गांव खुशी से चहक उठता है।



चलिए अब आपको फूलदेई phooldei festival पर पांडवाज ग्रुप का मशहूर गीत ‘फुलारी’ दिखाते हैं। गीत थोड़ा पुराना है, लेकिन आप इससे एक अलग तरह का कनेक्शन जरूर महसूस करेंगे। इस गीत को एक-दो बार नहीं, बल्कि बार-बार सुनने का मन करेगा। पहाड़, खाली होते गांव-घरों की याद जरूर आएगी। आईए फूलदेई पर इस शानदार गीत को देखें-सुनें और एक बार फिर से अपने बचपन में लौट चलें…


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