उत्तराखंड की एक कोरोना वॉरियर ये भी…बच्चों को घर पर छोड़ सब्जियां बेच रही है अंजलि
लॉकडाउन के दौरान अपने ढाई साल के छोटे बच्चे को घर पर छोड़ कर रुद्रपुर की सड़कों पर सब्जियां बेचने वालीं अंजलि की कहानी आप भी सुनेंगे तो गर्वित हो उठेंगे। अंजली के हिम्मत और बुलंद हौसलों की हर कोई तारीफ कर रहा है।
Apr 28 2020 9:56PM, Writer:अनुष्का
परिस्थितियां और हालात इंसान को बहुत कुछ सिखा देते हैं। जिस इंसान की इच्छा शक्ति मजबूत हो उसका कोई कुछ नहीं बिगाड़ सकता। कई ऐसे लोगों के बारे में हम पढ़ते हैं जिन्होंने विकट से विकट परिस्थितियों में भी हार नहीं मानी। उन्होंने हर तकलीफ का सामना किया मगर कभी हिम्मत नहीं हारी। हौसला बुलन्द हो और इच्छाशक्ति हो तो इंसान हर परिस्थिति का सामना कर लेता है। आज हम एक ऐसे ही हिम्मती और मेहनती औरत के बारे में बताने जा रहे हैं जो दो बच्चों की माँ है और कोरोना के संक्रमण के बीच रोज सड़क पर ठेला लगा कर सब्जी बेचती है। हम बात कर रहे हैं रुद्रपुर निवासी अंजली की। एक ऐसी शक्तिशाली महिला जो सड़क पर सब्जी का ठेला लगा कर अपने दो बच्चों का भरण-पोषण कर रही हैं। आगे पढ़िए..
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दोनों में से एक बेटा मात्र ढाई साल का है और दूसरा पांचवी में पढ़ रहा है। तीन साल पहले अंजली के पति ने उसको तलाक दे दिया था। साथ में दो बच्चे थे और अंजली अकेली परिवार की इकलौती कर्ता-धर्ता थी। बच्चों को मां का प्रेम भी देना था और पिता के हिस्से की जिम्मेदारी भी पूरी करनी थी। ऐसे में अंजली ने बच्चों को सम्भालने का बीड़ा उठाया और मजदूरी करना शुरू किया। उसने किसी के भी आगे हाथ नहीं फैलाये। न ही किसी से एक रुपये की मदद मांगी। कई लोगों के लिए मिसाल बन कर सामने आई अंजली पहले मजदूरी का काम करती थीं। मगर चूंकि लॉकडाउन के चलते सभी सभी मजदूरों से उनका रोजगार छिन गया ऐसे में भी अंजली का आत्मविश्वास कम नहीं हुआ। उन्होंने लॉकडाउन के दौरान सब्जियों का ठेला लगा कर सब्जी बेचना शुरू किया। आगे पढ़िए..
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अंजली बताती हैं कि उसका विवाह 2005 में हुआ था। तीन साल पहले उसके पति ने उसको तलाक दे दिया था। ऐसे में उसके ऊपर दो बच्चों को पालने की जिम्मेदारी का बोझ आ गया। मगर उसने किसी के भी आगे हाथ नहीं फैलाया। पहले वो मजदूरी किया करती थी मगर अब लॉकडाउन के दौरान घर चलाने के लिए पैसे उधार लेकर ठेला खरीदा और सब्जियां खरीदना शुरू किया। अंजली ने ये भी बताया कि वह रोज सुबह मंडी से सब्जी खरीदती हैं और डीडी चौक, गांधी पार्क और मेन बाजार में जाकर सब्जी बेचती हैं जिससे उसको रोजाना 200 से 300 का फायदा हो जाता है जिससे वो अपना और अपने दो बच्चों का पेट पालती हैं। उसके दो बच्चे हैं जिनमें से एक पांचवीं कक्षा में पढ़ता है और एक मात्र ढाई साल है। अंजली ने समाज में सभी लोगों के लिए मिसाल पेश की है और महिला सशक्तिकरण का नारा भी बुलंद किया है। अंजली के हौसले और जज्बे को दिल से सलाम।