पहाड़ का बेमिसाल किसान..लॉकडाउन में उगा दी रिकॉर्डतोड़ फसल..लिम्का बुक में दर्ज़ हुआ नाम
पहाड़ के किसान ने लॉकडाउन के दौरान धनिया का उत्पादन कर शानदार रिकॉर्ड बना दिया। किसान गोपाल दत्त का नाम इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड में दर्ज हुआ है। ऑर्गेनिक खेती करने वाले इस किसान को पूरे देश में अलग पहचान मिली है...
May 8 2020 12:05PM, Writer:कोमल नेगी
पहाड़ के एक प्रगतिशील किसान ने लॉकडाउन के दौरान ऐसी शानदार उपलब्धि हासिल की है, जिसकी सालों तक मिसाल दी जाएगी। इस किसान का नाम है गोपाल दत्त उप्रेती। अल्मोड़ा के ताड़ीखेत विकासखंड में एक गांव है बिल्लेख। गोपाल इसी गांव में रहते हैं। हाल ही में उन्होंने धनिया का उत्पादन कर शानदार रिकॉर्ड बना दिया। उनका नाम इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड में दर्ज हुआ है, पहाड़ के इस किसान को पूरे देश में अलग पहचान मिली है। जिस वक्त लोग अपने घरों में बंद हो लॉकडाउन को कोस रहे हैं, उस वक्त भी किसान गोपाल दत्त खेतों में पसीना बहाते देखे जा सकते है, इस मेहनत का उन्हें अच्छा रिजल्ट भी मिल रहा है। गोपाल उप्रेती अपने सेब के बगीचे में धनिया, लहसुन, और केल यानि सलाद पत्ता का उत्पादन करते हैं। कुछ दिन पहले उद्यान विभाग की टीम उनके खेत का निरीक्षण करने आई थी। टीम ने देखा की गोपाल उप्रेती के खेत में धनिया के पौधों की ऊंचाई 5 फीट 7 इंच तक पहुंच गई है, जो कि अपने आप में बड़ा रिकॉर्ड है।
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बस फिर क्या था, गोपाल दत्त का नाम इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड में दर्ज कराने के लिए भेजा गया और इस तरह गोपाल के साथ-साथ उनका धनिया भी देशभर में मशहूर हो गया। गोपाल अपने खेतों में फलों, सब्जियों, मसालों और सलाद पत्ता की खेती करते हैं। सारी फसलें ऑर्गेनिक तरीके से उगाई जाती हैं। वैसे गोपाल उप्रेती दिल्ली में रहते हैं, वहां प्रॉपर्टी के कारोबार से जुड़े हैं। लॉकडाउन हुआ तो गोपाल अपने गांव लौट आए और खेतों में काम शुरू कर दिया। इसके अच्छे नतीजे भी देखने को मिले और अब पहाड़ का ये किसान पूरे देश में मशहूर हो गया है। गोपाल ने 2016 में 'मिशन एप्पल' के तहत करीब 70 नाली क्षेत्रफल में सेब का बगीचा विकसित किया था, जो उत्तराखंड में मॉडल बना। वो इसी बगीचे में सेब के पेड़ों के बीच लहसुन, धनिया और पालक की जैविक खेती भी करते हैं। गोपाल दत्त उप्रेती से प्रेरणा लेकर गांव के दूसरे युवा भी खेती-किसानी को अपनाने लगे हैं, और गांव में रह कर ही स्वरोजगार के अवसर विकसित कर रहे हैं।