image: Migrants built playground in Garhwal

गढ़वाल: प्रवासी भाइयों ने गजब कर दिया, यहां क्वारेंटाइन पीरियड में बना दिया खेल का मैदान

हाथ मे फावड़ा और गैंती उठाए, मन में संकल्प लिए गांवों की ओर लौटे युवा प्रवासी संवार रहे हैं क्वारंटाइन केंद्रों की सूरत। कई युवक इस ओर जोरों-शोरों से कार्य कर रहे हैं। टिहरी और पौड़ी गढ़वाल के दो गांवों में भी कुछ युवकों ऐसा ही कमाल किया है।
Jun 5 2020 10:14AM, Writer:अनुष्का ढौंडियाल

पहाड़ी युवकों के अंदर कमाल का जोश और किसी कार्य को करने का उल्लास होता है। अब देखिए न, लॉकडाउन में गांव पहुंचे युवक क्वारंटाइन में रहते हुए अपने समय का कितना अच्छी तरह से सदुपयोग करने में लगे हैं। अपने-अपने गांव पहुंचे युवक क्वारंटाइन सेंटरों की हालत सुधारने में लगे हुए हैं। ऐसा ही कुछ कमाल किया है टिहरी जिले के चंबा के एक युवक ने। टिहरी जनपद के प्रखंड नरेंद्रनगर के प्राथमिक विद्यालय में 28 वर्षीय सतवीर सिंह को अकेले क्वारंटाइन किया गया था। सतवीर पंजाब के होटल में नौकरी करते थे और लॉकडाउन के दौरान गांव वापस लौटे थे। क्वारंटाइन सेंटर में वो अकेले थे तो उन्होंने अपने समय का बेहतरीन उपयोग किया। जब मन के अंदर दृढ़ निश्चय हो तो व्यक्ति भले ही अकेला हो मगर लक्ष्य की प्राप्ति कर लेता है। उन्होंने अकेले विद्यालय के उबड़-खाबड़ हो रखे खेल मैदान को समतल करने की ठानी। बस फिर क्या था, उन्होंने मन पक्का किया, हाथ मे फावड़ा, गैंती उठाया और हर सुबह मैदान को समतल करने के कार्य में जुट गए। आखिरकार कुछ ही दिनों में सतवीर ने अकेले अपने बलबूते पर उन्होंने खेल का मैदान संवार दिया। उनके इस अनोखे कार्य की पूरे गांव में सराहना हो रही है।

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चलिए आप आपको पौड़ी गढ़वाल के गांव की ओर लेकर चलते हैं जहां कुछ प्रवासी युवकों ने ऐसा ही सराहनीय काम किया है। पौड़ी गढ़वाल के यमकेश्वर ब्लॉक के अंतर्गत आने वाले सिगड्डी गांव में कुछ प्रवासी युवकों को क्वारंटाइन किया गया। वह सभी पंजाब से आए थे। उन्होंने देखा की जिस स्कूल में वह क्वारंटाइन हैं वहां बच्चों के खेलने के लिए मैदान नहीं है। उसी समय सभी युवाओं ने मन पक्का किया और बच्चों के लिए खेल का मैदान बनाने का बीड़ा अपने सिर उठाया। उन्होंने गांव के समीप टीला देखा तो उन्होंने विद्यालय प्रशासन से टीला काटने की अनुमति मांगी। स्वीकृति मिलने के बाद उन सभी युवकों ने स्कूल के समीप एक टीले को काटकर मैदान बनाने का कार्य शुरू किया। गांव के प्रधान और स्कूल के प्रधानाचार्य ने उनको औजार उपलब्ध कराए। बस फिर क्या था, मन में दृढ़ निश्चय किए सभी युवक खेल का मैदान बनाने की मुहिम में जुट गए। सभी युवकों का यह काम बेहद प्रशंसनीय है और ग्रामीणों एवं ग्राम प्रधान द्वारा उनकी इस मुहिम को खूब सराहा जा रहा है।


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