गढ़वाल की प्रिया..समाज की बेड़ियां तोड़कर शुरू किया स्वरोजगार..देखिए वीडियो
टिहरी गढ़वाल की प्रिया पंवार हर रोज खेतों में हल लगाती है और युवाओं को स्वरोजगार की मिसाल पेश करती है जबकि वह एक दसवीं की छात्रा है। ये वीडियो जरूर देखिए
Jul 8 2020 3:29PM, Writer:अनुष्का ढौंडियाल
हमने एक समाज के तौर पर लड़का और लड़कियों के लिए काम बांट रखे हैं। अब दौर समानता का है और युवा यह समझ रहे हैं कि उनको जो चीज करनी है उसको करने से उनको कोई नहीं रोक सकता। खासकर की लड़कियों को यह समझना जरूरी है कि उनकी जगह केवल रसोई तक सीमित नहीं है। अगर उनके मन मे दृढ़ इच्छा और संकल्प हो तो वे सब काम कर सकती हैं जो पुरूष करते हैं। उत्तराखंड की एक नन्ही बेटी रूढ़िवादी और पिछड़ी हुई सोच को तोड़कर आगे आगे बढ़ रही है। उसकी आंखों में उड़ान भरने की एक ख्वाहिश है और उस सपने के सामने भले ही कितनी भी बाधाएं आ चुकी हों, वो बेटी किसी से डरी नहीं। हम बात कर रहे हैं टिहरी गढ़वाल के जौनपुर के गांव की दसवीं कक्षा की छात्रा प्रिया पंवार की जो अपने गांव में हल चला रही हैं और तमाम रूढ़िवादी सोच को पछाड़ कर एक नई तस्वीर समाज के आगे पेश कर रही हैं। हल चलाने के पीछे एक बहुत ही ठोस कारण है। महज दसवीं कक्षा में पढ़ने वाली प्रिया स्वरोजगार की मिसाल पेश कर रही हैं। आगे देखिए वीडियो
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दूसरी ओर युवा गांव में खेती करने से शर्मा रहे हैं। स्वरोजगार की आज के समय में कितना जरूरी है यह तो हम सबको पता ही होगा। प्रिया का भी यही मानना है। वे कहती हैं कि हमें अपनी मिट्टी को छोड़कर और कहीं नहीं जाना चाहिए। युवाओं को यह समझना चाहिए कि गांव में रहकर वह शहर से अच्छी जिंदगी जी सकते हैं। प्रिया पंवार ने कहा कि रोजगार खो देने के बाद गांव की ओर वापस आए युवाओं को स्वरोजगार जरूर अपनाना चाहिए ताकि वह गांव में रहकर ही खुशहाल तरीके से जीवन व्यापन कर सकें। प्रिया पंवार ने हल चलाने के रास्ते को चुना जिसका मकसद स्वरोजगार प्राप्त करना और आत्मनिर्भर बनना तो है ही, साथ ही उन लोगों को जागरूक करना भी है जो अबतक उत्तराखंड की मिट्टी का मोल नहीं जान पाए हैं। प्रिया ने कहा कि यह वह समय है जब देवभूमि के नौजवानों को वापस अपनी भूमि पर लौट आना चाहिए और गांव में स्वरोजगार शुरू करना चाहिए। आगे देखिए वीडियो
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प्रिया को लोगों को समझाने में काफी समस्या आई। खासकर कि उनके गांव वालों द्वारा उनसे कहा गया कि हल लगाना पुरुषों का काम है मगर मन में निश्चय कर चुकी प्रिया ने दिल के अलावा किसी की भी नहीं सुनी। वह कहती हैं कि महिला और लड़कियां जब सब कर सकती हैं तो खेतों में हल क्यों नहीं लगा सकती। प्रिया पंवार ग्रामीण परिवेश में ही पली-बढ़ीं और उनके स्वर्गीय दादा जी द्वारा उनको हल चलाना सिखाया गया था जिसके बाद उनके कहने पर उनके पिता जी सूर्य सिंह पंवार ने उनको हल चलाने का सही तरीका बताया। उनके पिता पेशे से एक शिक्षक हैं और उन्होंने अपनी बेटी को कभी भी खेतों में हल चलाने से मना नहीं किया बल्कि हमेशा उसका प्रोत्साहन बढ़ाया। आज दसवीं की छात्रा प्रिया अपने खेतों में स्वयं हल लगा रही है। प्रिया ने कहा कि वह भविष्य में भी स्वरोजगार की राह पर चलेंगी और अपनी मिट्टी से कभी अलग नहीं होंगी। प्रिया भले ही कम उम्र की है, मगर उन्होंने वो कर दिखाया है जो किसी ने नहीं किया। प्रिया की इच्छाशक्ति और जज्बे ने साबित कर दिखाया है कि कोई भी काम नामुमकिन नहीं है।