image: Prakash Badoni of Tehri Garhwal started self-employment through farming

गढ़वाल का प्रकाश..लॉकडाउन में नौकरी खोई, गांव लौटकर शुरू की खेती..अब अच्छा मुनाफा

लॉकडाउन लगा तो प्रकाश की नौकरी चली गई। वो वापस अपने गांव खर्क भेडी लौट आए। आय का कोई साधन ना रहा तो प्रकाश गांव में 15 साल से बंजर पड़ी जमीन को खेती लायक बनाने में जुट गए। आगे पढ़िए पूरी खबर
Jul 30 2020 4:08PM, Writer:Komal Negi

कोरोना क्राइसेस और लॉकडाउन से भले ही लोगों का नुकसान हुआ है, लेकिन इस लॉकडाउन ने उत्तराखंड का बड़ा फायदा करा दिया। पहाड़ की जवानी वापस लौट आई है। बंजर पड़े खेतों में फसल लहलहा रही है, पहाड़वासी स्वरोजगार का महत्व समझने लगे हैं। स्वरोजगार से सफलता का सफर तय करने वालों की फेहरिस्त में टिहरी गढ़वाल के प्रकाश बडोनी भी शामिल हैं। प्रकाश बडोनी थौलधार इलाके में रहते हैं। रोजगार की तलाश में वो कई साल पहले गांव छोड़कर शहर चले गए थे। प्रकाश गुरुग्राम में नौकरी कर रहे थे, सब ठीक चल रहा था, लेकिन तभी कोरोना ने दस्तक दे दी। लॉकडाउन लगा तो प्रकाश की नौकरी चली गई। वो वापस अपने गांव खर्क भेडी लौट आए। यहां उन्हें जीरो से शुरुआत करनी थी। आगे पढ़िए

यह भी पढ़ें - उत्तराखंड: 2 साल से स्कूल में गणित का शिक्षक नहीं, बोर्ड की परीक्षा में फेल हुए कई छात्र
आय का कोई साधन ना रहा तो प्रकाश अपने गांव में 15 साल से बंजर पड़ी जमीन को खेती लायक बनाने में जुट गए। उन्होंने इसी बंजर जमीन के टुकड़े को अपनी नियति मान लिया और उसे रोजगार का जरिया बनाया। इस जमीन में प्रकाश ने टमाटर, शिमला मिर्च, पालक, गोभी, खीरा, कद्दू, भिंडी और लौकी जैसी सब्जियां उगाईं। प्रकाश के भाई ने भी उन्हें पूरा सहयोग दिया। देखते ही देखते बंजर खेत सब्जियों से लकदक नजर आने लगे। पहले सीजन की सब्जियां बेचकर प्रकाश ने अच्छा मुनाफा कमाया। वो अब तक 10 हजार की सब्जियां बेच चुके हैं, जबकि खेत में तकरीबन 20 से 30 हजार की सब्जी लगी हुई है। प्रकाश बडोनी ने फसल के साथ एक फोटो लेकर मुख्यमंत्री को ट्वीट भी किया था, उन्होंने सरकार से मदद की अपील की। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने भी प्रकाश की पहल को सराहा और टिहरी डीएम को प्रकाश बडोनी की हरसंभव मदद करने के निर्देश दिए।

यह भी पढ़ें - उत्तराखंड में सेना के दो जवान कोरोना पॉजिटिव, हाल ही में आगरा से जोशीमठ लौटे थे
बडोनी भाईयों का कहना है कि अगर सरकार उन्हें मदद दे तो वो बड़े पैमाने पर सब्जियों का कारोबार शुरू करना चाहते हैं। साथ ही दूसरे प्रवासी भाईयों को भी रोजगार देना चाहते हैं। स्वरोजगार से सफलता का सफर तय करने वाले प्रकाश गांव के बेरोजगार युवाओं के लिए मिसाल बन गए हैं, उनसे सीख लेकर गांव के दूसरे लोग भी सब्जियों की खेती को रोजगार का जरिया बना रहे हैं।

Posted by Prakash Badoni on Wednesday, July 29, 2020


View More Latest Uttarakhand News
View More Trending News
  • More News...

News Home