उत्तराखंड: आपकी हेल्पलाइन को हेल्प की दरकार है मुख्यमंत्री जी!..इन्द्रेश मैखुरी का ब्लॉग
डेढ़ साल बीतते-न-बीतते लगता है कि हेल्पलाइन हांफने लगी है,उसे ही “हेल्प” की जरूरत है ताकि वो “लाइन” पर आ सके। पढ़िए वरिष्ठ पत्रकार इन्द्रेश मैखुरी का ब्लॉग
Aug 2 2020 2:00PM, Writer:इन्द्रेश मैखुरी, वरिष्ठ पत्रकार
फरवरी 2019 में जनता की शिकायतों के निवारण के लिए उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत द्वारा सी।एम। हेल्पलाइन की शुरुआत की गयी। इसके लिए उत्तराखंड सरकार की ओर से एक हेल्पलाइन नंबर- 1905 जारी किया गया। शिकायतें https://cmhelpline।uk।gov।in/ पर पंजीकृत होती हैं। इसके संचालन के लिए उत्तराखंड लोक सेवा विकास अभिकरण बनाया गया। शिकायतों को निस्तारण के लिए एल 1 से लेकर एल 4 तक की एक व्यवस्था भी घोषित हुई।
डेढ़ साल पहले इस हेल्पलाइन नंबर का उद्घाटन रिबन काट कर,शिलापट से पर्दा हटा कर बड़े धूमधाम से मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत ने किया। लेकिन डेढ़ साल बीतते-न-बीतते लगता है कि हेल्पलाइन हांफने लगी है,उसे ही “हेल्प” की जरूरत है ताकि वो “लाइन” पर आ सके।
हेल्पलाइन के हांफने का एक उदाहरण परिवर्तन यूथ क्लब,कर्णप्रयाग के संयोजक और पूर्व प्रधान अरविंद चौहान द्वारा हेल्पलाइन पर दर्ज कराई गयी समस्या का गोल-गोल घूमना है ! उन्होंने कोई व्यक्तिगत समस्या नहीं दर्ज करवाई बल्कि सार्वजनिक हित की बात उठाई। लेकिन एक महीने से ऊपर हो गया और सुनवाई न हुई
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18 जून 2020 को अरविंद चौहान ने सीएम हेल्पलाइन पर उप जिला चिकित्सालय, कर्णप्रयाग में ब्लड स्टोरेज यूनिट के संचालित न होने का मामला दर्ज करवाया। अपनी शिकायत में उन्होंने लिखा कि उप जिला चिकित्सालय, कर्णप्रयाग में विगत कई वर्षों से ब्लड स्टोरेज यूनिट तो है,पर वह चलता नहीं है। इसका सुचारु संचालन करवाया जाये ताकि आपातकालीन स्थिति में खून के लिए जरूरतमंदों को 60 किलोमीटर दूर श्रीनगर(गढ़वाल),30 किलोमीटर दूर रुद्रप्रयाग और 40 किलोमीटर दूर गोपेश्वर की दौड़ न लगानी पड़े। पहाड़ में इतनी दूरी, सामान्य स्थितियों में भी घंटों में पूरी होती और सड़क कटान के काम व बरसात में मार्ग बाधित होने की स्थिति में तो उक्त दूरी को पूरा करने की समयावधि बता पाना असंभव ही है। गंभीर स्थितियों में यह दूरी जानलेवा सिद्ध हो सकती है।
आम जन के जीवन से जुड़ी इस समस्या का तत्काल निदान होना चाहिए था। लेकिन 18 जून को दर्ज शिकयत,31 जुलाई तक मुख्यमंत्री हेल्पलाइन पर एल-1 से लेकर एल-4 तक के बीच चकरघिन्नी बनी हुई है।
हर स्तर पर दर्ज है कि शिकायत पर समय पर कार्यवाही न होने के चलते अगले स्तर के अधिकारी को भेज दी गयी है। एल 1 ने कार्यवाही न हुई तो एल 2 को पहुंची। एल 2 पर अटकी रही थी तो एल 3 को भेजी गयी। एल 3 पर भी चेतावनी के बावजूद कुछ न हुआ तो एल 4 की तरफ सरका दी गयी है,शिकायत।
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ब्लड स्टोरेज यूनिट अस्पताल में बना हुआ है। उसका संचालन सरकार को स्वयं ही सुनिश्चित करना चाहिए था। वह तो न हुआ पर जब एक सजग नागरिक द्वारा मुख्यमंत्री हेल्पलाइन तक यह बात पहुंचाई गयी तो मुख्यमंत्री के नाम वाली उक्त योजना में भी शिकायत एल 1 से एल 4 के बीच ही लटक रही है !
और यह इकलौता मामला नहीं है,जबकि शिकायत महीने भर से अधिक होने पर भी लटक ही रही है। कुछ महीनों पहले ऋषिकेश के एक पर्यटन व्यवसायी ने बताया था कि मुख्यमंत्री हेल्पलाइन पर की गयी उनकी शिकायत छह महीने से एल 1 से एल 4 और फिर एल 4 से एल 1 के बीच ही घूम रही है। शिकायत हर लेवल को, बिना कार्यवाही हुए पार करते हुए, उच्चतम लेवल यानि एल 4 पर पहुंचती है और वहाँ से फिर शुरुआती स्तर यानि एल 1 पर सरका दी जाती !
सीएम हेल्पलाइन की वैबसाइट पर लिखा गया है कि “प्रदेश की जनता सुखी हो, सरकार के कार्यों से संतुष्ट हों, इसी उद्देश्य से, सी। एम। हेल्पलाइन 1905 प्रारंभ की गयी है। सुशासन की दिशा मे सरकार द्वारा उठाया गया यह एक अनूठा कदम है, जिसके माध्यम से समस्याओं का त्वरित समाधान एवं विभागों की जनहित से जुड़ी योजनाओं की जानकारी प्राप्त की जा सकती है।”
एल-1 से एल 4 की भूल भुलय्या में भटकते और शिकायतों के घिसटते हुए, कैसे जनता सुखी और संतुष्ट होगी,यह तो योजना को संचालित करने वाले ही जाने ! एल-1 से एल-4 के भंवर में घूमती शिकायतों का त्वरित समाधान तो नहीं हो रहा है तो लगता है कि सरकार का “अनूठा कदम” अब एल-1 से एल-4 की बीच केवल कदमताल ही कर रहा है !