केदारनाथ धाम में अन्नकूट मेला, अनाज से बाबा केदार का श्रृंगार..देखिए तस्वीरें
भतूज मेले के आयोजन के पीछे विशेष धार्मिक मान्यता है। कहते हैं कि भगवान शिव अनाज से विषाक्त पदार्थों को समाप्त कर देते है। इसलिए उन्हें अन्न का भोग लगाया जाता है।
Aug 2 2020 8:18PM, Writer:कोमल नेगी
उत्तराखंड धार्मिक मान्यताओं-परंपराओं वाला प्रदेश है। रक्षाबंधन की पूर्व संध्या पर एक ऐसी ही अनोखी परंपरा रुद्रप्रयाग जिले में निभाई जाएगी। आज रात यहां केदारनाथ धाम और विश्वनाथ मंदिर गुप्तकाशी में अन्नकूट मेले का आगाज होगा। अन्नकूट मेले को भतूज मेला भी कहा जाता है। मेले की सभी तैयारियां पूरी हो गई हैं। इस मौके पर मंदिर को दस क्विंटल गेंदे की फूल-मालाओं से सजाया गया है। मेले के दौरान केदारनाथ धाम के कपाट श्रद्धालुओं के दर्शनार्थ रातभर खुले रहेंगे। यह मेला केदारघाटी के विश्वनाथ मंदिर गुप्तकाशी और ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ समेत अन्य सभी शिवालयों में भी मनाया जाता है। इस मौके पर बाबा केदार के स्वयंभू लिंग को अनाज से भव्य रूप से सजाया जाएगा। रविवार को रातभर केदारनाथ मंदिर के कपाट खुले रहेंगे, लेकिन कोरोना संकट के चलते इस बार श्रद्धालु भगवान के दिव्य श्रृंगार के दर्शन नहीं कर पाएंगे। आगे देखिए तस्वीरें
फूलों से सजे बाबा केदार
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भतूज मेले के मौके पर बाबा केदार के स्वयंभू लिंग पर चावल, झंगोरा और कोंणी अनाज का लेप लगाया जाएगा। मुख्य पुजारी शिवलिंग का भव्य श्रृंगार करेंगे। आम दिनों में इस मेले की रौनक देखते ही बनती थी। श्रद्धालु पूरे साल भर अन्नकूट मेले का इंतजार करते थे, लेकिन कोरोना की काली छाया ने हर परंपरा को बदलकर रख दिया है। देवस्थानम बोर्ड के कार्याधिकारी एनपी जमलोकी ने बताया कि अन्नकूट मेले की सभी तैयारियां पूरी हो गई हैं। मंदिर को विशेष रूप से सजाया गया है।
ये है धार्मिक मान्यता
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सोमवार सुबह धार्मिक परंपराओं के अनुसार बाबा केदार की पूजा अर्चना की जाएगी। उन्हें भोग लगाया जाएगा। भतूज मेले के आयोजन के पीछे एक विशेष धार्मिक मान्यता है। कहते हैं कि भगवान शिव अनाज से विषाक्त पदार्थों को समाप्त कर देते है। इसलिए उन्हें अन्न का भोग लगाया जाता है। स्वयंभू लिंग पर लगे लेप को अगले दिन सुबह मंदाकिनी नदी में प्रवाहित किया जाता है। आज रात केदारनाथ धाम के अलावा विश्वनाथ मंदिर और ओंकारेश्वर मंदिर में भी अन्नकूट मेले का आयोजन किया जाएगा।