उत्तराखंड: लॉकडाउन में ‘आधी आबादी’ के मददगार बने अनुराग चौहान, ऐसे युवाओं पर गर्व है
कोरोना संकट और इसके चलते लगे लॉकडाउन ने दुनिया की रफ्तार थाम दी, लेकिन कोरोना काल में पीरियड्स नहीं रुकते। लॉकडाउन के दौरान महिलाओं की इस समस्या और मेंस्ट्रुअल हाइजीन के बारे में बहुत कम सोचा गया। आगे पढ़िए पूरी रिपोर्ट
Aug 18 2020 7:35PM, Writer:Komal Negi
रेड एफ एम के आरजे काव्य हर बार कुछ नई कहानियां लेकर हमारे बीच आते हैं। एक बार फिर से काव्य एक प्रेरणादायक कहानी लेकर आए हैं। कोरोना संकट और इसके चलते लगे लॉकडाउन ने दुनिया की रफ्तार थाम दी, लेकिन कोरोना काल में पीरियड्स नहीं रुकते। कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए मास्क और सैनेटाइजर जितने जरूरी हैं, पीरियड्स के दौरान महिलाओं के लिए पर्सनल हाइजीन भी उतनी ही जरूरी है। लॉकडाउन के दौरान जब लोग सिर्फ अपने बारे में सोच रहे थे, उस वक्त देहरादून के एक समाजसेवी महिलाओं की उस समस्या के समाधान के लिए प्रयासरत थे, जिसके बारे में लोग आज भी खुलकर बात नहीं करते। हम बात कर रहे हैं देहरादून के जाने-माने सोशल एक्टिविस्ट अनुराग चौहान की। जिन्होंने अपनी पॉजिटिव सोच से हजारों महिलाओं की जिंदगी बदल दी। अनुराग चौहान महिलाओं को मेंस्ट्रुअल हाइजीन के लिए जागरूक करने की दिशा में कार्य कर रहे हैं
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लॉकडाउन के दौरान बार-बार हाथ धोने के बारे में लोगों ने बहुत सोचा, लेकिन महिलाओं के मेंस्ट्रूअल हाइजीन को लेकर बहुत कम सोचा गया। ऐसे मुश्किल वक्त में सोशल एक्टिविस्ट अनुराग चौहान महिलाओं की मदद के लिए आगे आए। मेंस्ट्रुअल हाइजीन पर काम कर रहे सोशल एक्टिविस्ट अनुराग चौहान ने ह्यूमंस फॉर ह्यूमेनिटी संस्था के माध्यम से महिलाओं की मदद की। ये संस्था महिलाओं को मेंस्ट्रुअल हाइजीन को लेकर जागरूक करती है, साथ ही गरीब महिलाओं को सेनेटरी पैड बनाने की ट्रेनिंग भी देती है। ह्यूमंस फॉर ह्यूमेनिटी संस्था पिछले 5 साल से राजस्थान, दिल्ली, महाराष्ट्र, कर्नाटक, यूपी समेत देशभर में महिलाओं को सेनेटरी पैड बनाने की ट्रेनिंग दे रही है। इस ट्रेनिंग का सबसे बड़ा फायदा तब दिखा जब देशभर में लॉकडाउन लगा। संस्था से ट्रेनिंग लेने वाली महिलाओं ने लॉकडाउन में अपने इस्तेमाल के लिए घर पर ही पैड बनाने शुरू किए। साथ ही इन्हें दूसरी महिलाओं तक भी पहुंचाया। जिससे उन्हें इनकम होने लगी। यही इनकम लॉकडाउन में गरीब महिलाओं का बड़ा सहारा बनी। अनुराग कहते हैं कि किसी की बार-बार मदद करने से बेहतर है कि उसे आत्मनिर्भर बनाया जाए। ह्यूमंस फॉर ह्यूमैनिटी के माध्यम से हम यही कर रहे हैं। ये संस्था महिलाओं को सेनेटरी नैपकिन बनाने की ट्रेनिंग देकर उन्हें स्वावलंबी बना रही है। साथ ही महिलाओं को मेंस्ट्रुअल हाइजीन के संबंध में जागरूक किया जा रहा है।
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साल 2015-16 के नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे के आंकड़ों के अनुसार पूरे देश में सिर्फ 36 प्रतिशत महिलाएं ही सेनेटरी नैपकिन यूज करती हैं। उत्तराखंड में 15 से 24 साल तक की 55 परसेंट महिलाओं तक सेनेटरी नैपकिन पहुंच ही नहीं पाते। जरा सोचिए ऐसे में रूरल एरियाज में रहने वाली महिलाओं को किन तकलीफों से गुजरना पड़ता होगा। जो लोग आर्थिक रूप से कमजोर हैं, वो पहले पेट भरें या फिर सेनेटरी नैपकिन खरीदें। इसी विचार ने अनुराग चौहान को गरीब तबके की महिलाओं के लिए कुछ करने का जज्बा दिया। अनुराग चौहान के इस काम की यूनाइटेड नेशन ने भी सराहना की। उन्हें यूनाइटेड नेशन की तरफ से साल 2016 में कर्मवीर चक्र अवॉर्ड से नवाजा गया। अनुराग इन दिनों देहरादून में बस्तियों की महिलाओं को सेनेटरी पैड बनाने की ट्रेनिंग दे रहे हैं। चलिए अब आपको अनुराग चौहान और उनके मिशन पर तैयार एक शानदार वीडियो दिखाते हैं, जिसे रेडियो चैनल रेड एफएम के आरजे काव्य ने अपने खास शो ‘एक पहाड़ी ऐसा भी’ के सीजन-3 के लिए तैयार किया है। आगे देखें वीडियो
Ek Pahadi Aisa BhiEK PAHADI AISA BHI
Season 3 : Ep 11 : Anurag Chauhan ☺️
RJ Kaavya @RedFm
Presnted By UPES @Arun Dhand
Art work by Agam Johar Arts
#EkPahadiAisaBhi #CoronaHeroes
Posted by RJ Kaavya on Sunday, August 16, 2020