उत्तराखंड पुलिस ने जीता सांसद राजीव प्रताप रूड़ी का दिल, DIG की खुले दिल से तारीफ
किमाड़ी हादसे में दून पुलिस ने जिस ईमानदारी से अपने कर्तव्य को निभाया, उसने सांसद राजीव प्रताप रूड़ी का दिल जीत लिया।
Aug 28 2020 8:26PM, Writer:Komal Negi
कोरोना संकट और आपदा से जूझ रहे उत्तराखंड में पिछले दिनों दून पुलिस ने एक ऐसा शानदार काम किया। जिसने सांसद राजीव प्रताप रूड़ी का दिल जीत लिया। मामला एक एक्सीडेंट केस से जुड़ा है। इस एक्सीडेंट में दो लोगों की मौत हो गई थी, लेकिन रेस्क्यू टीम दो लोगों को बचाने में कामयाब रही। एक्सीडेंट के संबंध में सांसद राजीव प्रताप रूड़ी रातभर डीआईजी अरुण मोहन जोशी को फोन कर उनसे अपडेट लेते रहे और डीआईजी ने भी सांसद की हर कॉल का जवाब दिया। इसके लिए सांसद राजीव प्रताप रूड़ी ने दून पुलिस की खूब तारीफ की। उन्होंने दून पुलिस की तारीफ में मुख्यमंत्री को पत्र लिखा है। यहां आपको पूरा मामला भी जानना चाहिए।
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पिछले महीने 4 जुलाई को किमाड़ी रोड पर एक सड़क हादसा हुआ था। दिल्ली के एक परिवार की कार 300 मीटर गहरी खाई में गिर गई थी। इस कार में नीरज त्यागी, उनकी पत्नी शगुन त्यागी, बेटी आरुषि त्यागी और ड्राइवर सवार थे। मसूरी से लौटते वक्त जब उनका परिजनों से संपर्क नहीं हुआ तो सांसद राजीव प्रताप रूड़ी ने डीआईजी अरुण मोहन जोशी से इस संबंध में सीधे बात की थी। जांच शुरू हुई तो पता चला कि कार हादसे का शिकार हो गई है। जिसके बाद डीआईजी के निर्देश पर वहां पर रेस्क्यू अभियान चलाया गया। एसपी सिटी श्वेता चौबे के नेतृत्व में वहां करीब 15 घंटे तक ऑपरेशन चला। पुलिस की हर कोशिश के बावजूद इस हादसे में नीरज त्यागी और उनकी पत्नी शगुन त्यागी की मौत हो गई थी।
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हालांकि पुलिस आरुषि और कार के ड्राइवर को बचाने में कामयाब रही। दोनों घायल थे, लेकिन समय पर इलाज मिलने से उनकी जान बच गई। इस पूरे मामले में दून पुलिस ने जिस ईमानदारी से अपने कर्तव्य को निभाया, उसने सांसद रूड़ी का दिल जीत लिया। सांसद रूड़ी ने इस संबंध में मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत को पत्र लिखा है। जिसमें उन्होंने विशेषकर डीआईजी अरुण मोहन जोशी और एसपी सिटी श्वेता चौबे के सहयोग को सराहा। सांसद राजीव प्रताप रूड़ी ने पत्र के माध्यम से कहा है कि वे इस केस स्टडी को नेशनल पुलिस एकेडमी में पढ़ाएंगे। यह किसी भी पुलिसकर्मी के लिए एक सीख होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि डीआईजी अरुण मोहन जोशी हादसे वाले दिन उनसे रातभर बात कर रहे थे। उन्होंने हरेक फोन का पूरी रात जवाब दिया। किसी भी राज्य की पुलिस के लिए ये कर्तव्यपरायणता का शानदार उदाहरण है। किसी घटना पर तुरंत एक्शन लेना और फिर रेस्क्यू करना अपने आप में बड़ा चैलेंज था, लेकिन दून पुलिस ने अपनी जिम्मेदारी बखूबी निभाई।