image: Bad health services in Dehradun

देहरादून से सिर्फ 35 किलोमीटर दूर ऐसी तस्वीर? ये तो हद हो गई

ये उसी देहरादून की तस्वीरें हैं, जिसे सरकार स्मार्ट सिटी बनाने का दम भर रही है। इसी चमचमाते देहरादून में कई गांव ऐसे भी हैं, जहां आज भी जिंदा लोग चार कंधों पर ढोए जा रहे हैं। आगे पढ़िए पूरी रिपोर्ट
Sep 11 2020 12:25PM, Writer:Komal Negi

सरकारी सिस्टम को मुंह चिढ़ाती ये तस्वीरें देहरादून के सहसपुर विधानसभा क्षेत्र की हैं। वही देहरादून, जिसे सरकार स्मार्ट सिटी बनाने का दम भर रही है, सड़कें चमकाने का दावा कर रही है, लेकिन इसी देहरादून में कई गांव ऐसे भी हैं, जहां आज भी जिंदा लोग चार कंधों पर ढोए जा रहे हैं। भगवान ऐसे दिन किसी को ना दिखाए, जैसे ढलानी गांव के लोगों को देखने पड़ रहे हैं। सहसपुर विधानसभा क्षेत्र का ये गांव उत्तराखंड की राजधानी से महज 35 किलोमीटर दूर है, लेकिन गांव के क्या हाल हैं, ये आप इन तस्वीरों में देख लीजिए। सहसपुर विधानसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व विधायक सहदेव सिंह पुंडीर करते हैं। राज्य और देश दोनों में इनकी अपनी पार्टी की सरकार है, लेकिन विधायक जी अपने क्षेत्र के गांव में एक सड़क तक नहीं बनवा पा रहे। आजादी से पहले भी इस गांव में सड़क नहीं थी और आजादी के बाद भी हालात नहीं बदले।

यह भी पढ़ें - उत्तराखंड में फिर से आफत बढ़ाएगा मौसम, 4 जिलों के लोग सावधान रहें
ढलानी गांव से मेन रोड सिर्फ डेढ़ किलोमीटर दूर है, लेकिन आजादी के 7 दशक बाद भी राजधानी की सड़कें इस गांव का मुंह नहीं देख सकीं। गांव तक सड़क नहीं होने के कारण आज भी मरीज डोली-खटिया के सहारे सड़क तक लाए जाते हैं। सबसे बड़ी दुविधा तब खड़ी हो जाती है, जब गांव में कोई महिला प्रसव पीड़ा से परेशान हो या फिर कोई ग्रामीण गंभीर रूप से बीमार हो जाए। उस समय ग्रामीणों के लिए डोली, खटिया और ग्रामीणों के कंधे ही एंबुलेंस का काम करते हैं। सड़क नहीं होने के कारण ग्रामीणों को आए दिन परेशानी का सामना करना पड़ता है। सड़क के लिए ग्रामीण कई बार आंदोलन भी कर चुके हैं, बावजूद इसके ग्रामीणों की मांगों को गंभीरता से नहीं लिया जा रहा है। ग्रामीणों की मानें तो इस बार उन्होंने मन बना लिया है कि अब की बार गांव में जो भी नेता वोट मांगने आएगा, उसे गांव के विकास के मुद्दे पर दागे गए सवालों से होकर गुजरना होगा।

यह भी पढ़ें - गढ़वाल: कोविड केयर सेंटर में DM मंगेश ने मारा छापा, खुली अव्यवस्था की पोल
ग्रामीणों की सबसे बड़ी पीड़ा यह है कि उनके गांव में जाने के लिए पक्की सड़क नहीं है। जिसके चलते शादी-ब्याह सहित अन्य कार्यों के लिए काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है। बरसात में हाल और बुरे हो जाते हैं। बीमार लोगों को अस्पताल ले जाने और लाने के लिए खटिया का सहारा लेना पड़ता है। लोग खाट पर मरीज लेकर खेत-मैदान से होते हुए मेन रोड तक पहुंचते हैं। ग्रामीणों का आरोप है कि जब चुनाव आता है, तब नेताओं के दर्शन होते हैं, लेकिन चुनाव जीतने के बाद कोई गांव की सुध नहीं लेता। क्षेत्र के समाजसेवी आकाश जोशी अक्कू ने सरकार और प्रशासन से गांव में सड़क बनाने की अपील की, ताकि ग्रामीणों को मरीजों को खटिया पर लेटा कर अस्पताल ना ले जाना पड़े। चलिए अब आपको देहरादून के इस दूरस्थ गांव का वीडियो दिखाते हैं, उम्मीद है ढलानी की इन तस्वीरों पर सरकार और प्रशासन का ध्यान जरूर जाएगा, कोई तो इस गांव की सुध लेगा।


View More Latest Uttarakhand News
View More Trending News
  • More News...

News Home