उत्तराखंड: खतरे में पहाड़ का ये गांव, भूगर्भ वैज्ञानिकों ने दिया बड़ी तबाही का संकेत
भौगड़ा तोक दिखने में सामान्य गांव लगता है, लेकिन यहां जमीन के भीतर लगातार हलचल मची है। गांव की जमीन लगातार खिसक रही है। आगे पढ़िए पूरी खबर
Oct 9 2020 3:26PM, Writer:Komal Negi
हिमालयी क्षेत्र में स्थित उत्तराखंड प्राकृतिक आपदा के लिहाज से बेहद संवेदनशील है। यहां की धरती बार-बार डोल रही है। कभी पिथौरागढ़, कभी चमोली तो कभी उत्तरकाशी-रुद्रप्रयाग। यहां लगातार भूकंप के हल्के झटके महसूस किए जा रहे हैं। वैज्ञानिक भी कह चुके हैं कि उत्तराखंड पर मेगा अर्थक्वैक का खतरा मंडरा रहा है। इस बीच एक चिंता बढ़ाने वाली खबर पिथौरागढ़ से आई है। यहां एक गांव है जिसकी जमीन लगातार खिसक रही है। भूगर्भ वैज्ञानिकों ने प्रशासन से कहा है कि आने वाले वक्त में यहां जमीन रहेगी ही नहीं। इसलिए बेहतर होगा कि यहां रह रहे परिवारों को कहीं और बसा दिया जाए। जिस गांव की हम बात कर रहे हैं उसका नाम है भौगड़ा तोक, जो कि खेतार कन्याल क्षेत्र में पड़ता है। भौगड़ा तोक दिखने में सामान्य गांव लगता है, लेकिन यहां जमीन के भीतर लगातार हलचल मची है। गांव की जमीन लगातार खिसक रही है। ये कहना है भूगर्भ वैज्ञानिक प्रदीप कुमार का। जिन्होंने हाल ही में तोक का दौरा किया है। भूगर्भ वैज्ञानिक प्रदीप कुमार ने इस इलाके को लेकर अपनी चिंता जताई। उन्होंने प्रशासन से सिफारिश करते हुए कहा कि गांव के परिवारों को जल्द से जल्द किसी दूसरी जगह शिफ्ट कर दिया जाए। आगे पढ़िए
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भौगड़ा तोक अब रहने लायक नहीं है। इस गांव में पांच परिवार रहते हैं। हाल में तहसील प्रशासन, कृषि विभाग और भूगर्भ वैज्ञानिक प्रदीप कुमार ने संयुक्त रूप से भौगड़ा तोक का निरीक्षण किया। तब उन्होंने बताया कि आने वाले वक्त में भौगड़ा क्षेत्र में जमीन का टिकना संभव नहीं होगा। इसलिए बेहतर यही होगा कि यहां रह रहे परिवारों को जल्द मुआवजा देने के साथ कहीं और शिफ्ट करने की कवायद शुरू की जाए। इसमें देरी नहीं होनी चाहिए। उन्होंने राजस्व अधिकारियों से पीड़ित परिवारों को जमीन उपलब्ध कराने और किसानों को फसलों का मुआवजा देने को भी कहा। भौगड़ा तोक में इस वक्त चंचल सिंह, खुशाल सिंह, हरीश सिंह, महिमन सिंह और महेश सिंह के परिवार रहते हैं। जब से इन्हें गांव में आने वाली तबाही के संकेत मिले हैं, तब से ये लोग बुरी तरह डरे हुए हैं। आपदा के बारे में सोचकर इन परिवारों को रात-रातभर नींद नहीं आती। हर वक्त मन में बुरे ख्याल आते हैं। स्थानीय ग्रामीणों ने जिला प्रशासन से उन्हें जल्द ही कहीं और शिफ्ट करने की मांग की, ताकि वो अपनी जिंदगी नए सिरे से शुरू कर सकें।