image: Cannabis cultivation in Champawat district

उत्तराखंड के इस जिले में भांग की खेती का पहला लाइसेंस जारी..रेशे से तैयार होंगे कई उत्पाद

नशे के लिए बदनाम भांग पहाड़ में रोजगार का जरिया बनेगा। गढ़वाल में इसकी शुरुआत हो चुकी है, अब कुमाऊं के सीमांत जिले चंपावत में भी भांग की खेती की जा सकेगी।
Nov 4 2020 1:48PM, Writer:Komal Negi

भांग। एक ऐसा पौधा जो आमतौर पर नशे के लिए बदनाम है, लेकिन इस पौधे में कई औषधीय गुण भी हैं। आयुर्वेद में भी इसका जिक्र मिलता है। भांग के पौधों से निकले रेशों से हस्तशिल्प तैयार होता है, अब उत्तराखंड में कानूनी रूप से भांग की खेती हो सकेगी। भांग पहाड़ में रोजगार का जरिया बनेगा। गढ़वाल में इसकी शुरुआत हो चुकी है, अब कुमाऊं के सीमांत जिले चंपावत में भी भांग की खेती की मंजूरी मिल गई। जिले में भांग के खेती के लिए पहला लाइसेंस जारी हो गया है। इसके अलावा एक अन्य फर्म के लाइसेंस की कवायद अंतिम चरण में पहुंच चुकी है। इससे पहले राज्य के पौड़ी गढ़वाल में भांग की खेती के लिए पहला लाइसेंस जारी हुआ था। अब कुमाऊं में भी भांग की खेती को कानूनी मंजूरी मिल गई। चंपावत जिले में भांग की खेती के लिए लाइसेंस जारी हुआ है। यहां पर जो भांग उगाई जाएगी, उसका प्रोडक्शन औद्योगिक इस्तेमाल के लिए होगा। यहां कम मादकता वाली भांग की खेती की जाएगी। ये खेती औद्योगिक लिहाज से होगी। जिन्हें भांग की खेती का लाइसेंस मिला है। उनके बारे में भी जान लें। इनका नाम है नरेंद्र माहरा। आगे पढ़िए

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नरेंद्र जनकांडे के खुतेली गांव के रहने वाले हैं। आबकारी विभाग की सभी प्रक्रियाएं पूरी करने के बाद जिलाधिकारी ने नरेंद्र माहरा को भांग की खेती के लिए पहला लाइसेंस जारी किया है। नरेंद्र माहरा .295 हेक्टेयर भूमि में भांग की खेती करेंगे। इसके अलावा एक और फर्म है, जिसने भांग की खेती के लिए आवेदन किया है। इस फर्म का नाम है टेरा फिलिक इनोवेंचर्स प्राइवेट लिमिटेड। पाटी में स्थित फर्म के संचालक गौरव लडवाल ने भी भांग की खेती के लाइसेंस के लिए आवेदन किया है। गौरव 1.037 हेक्टेयर जमीन में भांग की खेती करना चाहते हैं। विभाग फर्म को लाइसेंस देने की कवायद में जुट गया है। लाइसेंस जारी करने की प्रक्रिया अंतिम चरण में है। जिला आबकारी अधिकारी तपन पांडेय के मुताबिक भांग की फसल से क्षेत्र में रोजगार के अवसर पैदा होंगे। इसके रेशे से कई उत्पाद तैयार किए जाते हैं। जिले में भांग की फसल का पहला लाइसेंस जारी कर दिया गया है। एक और लाइसेंस की प्रक्रियाएं भी पूर्ण हो चुकी हैं।


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