उत्तराखंड का अमृत..जोड़ों के दर्द और टूटी हड्डियों का रामबाण इलाज है बजेड़ी गोला..जानिए खूबियां
नैनीताल जिले के बेतालघाट ब्लॉक के बजेड़ी गांव में बनने वाला बजेड़ी का गोला बेहद प्रचलित है और यह टूटी हड्डियों को जोड़ने और दर्द को दूर करने के लिए रामबाण इलाज माना जाता है-
Nov 18 2020 7:06PM, Writer:Komal Negi
उत्तराखंड राज्य प्राकृतिक एवं औषधीय जड़ी-बूटियों की खदान है। यहां प्रचुर मात्रा में जड़ी-बूटियों एवं वनस्पतियों का भंडार मिलता है। आज हम एक ऐसे ही बेजोड़ चीज के बारे में आपको बताने जा रहे हैं जो पूरी तरह से प्राकृतिक है और प्रकृति से प्राप्त उत्पादों से बनती है। हम बात कर रहे हैं नैनीताल जिले के बेतालघाट ब्लॉक के बजेड़ी गांव से सटे इलाकों की जहां पर बजेड़ी का गोला बेहद प्रचलित है और यह टूटी हड्डी को जोड़ने और दर्द को दूर करने के लिए बेहद कारगर है और एक अचूक दवा है। कई सारे औषधीय गुणों को अपने अंदर समेटे पत्तियों और जड़ों को पीसकर तैयार किए जाने वाले इस गोले का लेप टूटी हड्डियों को जोड़ने के एक अचूक और रामबाण दवाई मानी जाती है। बता दें कि कई वर्षों पहले मवेशियों पर इस गोले का सफल प्रयोग किया गया था और उसके बाद ही यह बजेड़ी के बेजोड़ गोले से हड्डी जोड़ने की वानस्पतिक तरीका गांव वालों को विरासत में दिया गया। यह गोला कुल 17 वनस्पतियों के मिश्रण से तैयार कर बनाया जाता है। बेतालघाट के गांव बजेड़ी में रहने वाले लोग इस गोले को बनाने के लिए किन वनस्पतियों का उपयोग किया जाता है, इस बात का खुलासा वे नहीं करते हैं।
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वे इस अनोखे और रामबाण गोले के अंदर पड़ने वाली वनस्पतियों की जानकारी को गुप्त रखते हैं। जिन ग्रामीणों को इस दवा को बनाने में महारथ हासिल होती है केवल उन्हीं ग्रामीणों को इस गोले के लिए वनस्पति चुनने का जिम्मा देते हैं ताकि वनस्पति भी बची रहे और आयुर्वेदिक गोले का लाभ लोगों को मिलता रहे। सदियों पूर्व युद्ध आदि में सैनिकों के घायल होने पर इसी वनस्पतिक मिश्रण से बने दवाइयों का इस्तेमाल होता आया है। यह बिना किसी प्लास्टर के हड्डियों को जोड़ने का काम करता है। नैनीताल के बेतालघाट के दूरवर्ती गांव के लोगों को इस गोले को बनाने में महारत हासिल है। तरह-तरह की वनस्पतियों की पत्तियों और जड़ों को पीसकर तैयार किए जाने वाले इस गोले से बड़े से बड़ा फ्रैक्चर को पहले जैसा बनाने में बस कुछ ही दिन लगते हैं। यह गोला टूटी हड्डियों को जोड़ने में रामबाण साबित होता है। यह औषधीय गोला व्यक्ति विशेष के छोटे स्थान पर सूजन को घटाने और हड्डी टूटने से होने वाले असहनीय दर्द को काफी हद तक कम करने में भी कामयाब है।
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जंगलों से औषधीय गुणों को समेटे कुल 17 पत्तियों और जड़ों को पीसकर यह गोला बनाया जाता है। कुछ समय तक मुलायम रहने के बाद यह गोला समय रहते ही सूख जाता है और जब जरूरत पड़ती है तभी उस गोले को तोड़कर हल्के से गुनगुने पानी में मिलाने पर उसका लेप बनाया जाता है। उसके बाद जहां पर टूटी हड्डी है वहां पर इस गोले के लेप को लगाया जाता है और उसके बाद सूती कपड़े से बांध दिया जाता है। गांव वालों का यह दावा है कि इस गोले के लेप लगाने के 3 दिन के बाद से ही हड्डियों के खिंचाव के साथ दर्द में भी भारी कमी आती है और चौथे दिन प्लास्टर की तरह बांधी पट्टी खोल दी जाती है और टूटी हड्डी जुड़ जाती है। शुरुआत में कुछ लोगों ने परिचितों की सलाह पर इस गोले का इस्तेमाल करना शुरू किया। इसके प्रचार होने के साथ ही अब इसकी मांग भी बढ़ने लगी है। अब उत्तराखंड के हल्द्वानी, रामनगर, पिथौरागढ़, रानीखेत, अल्मोड़ा के साथ ही उधम सिंह नगर जिले समेत जगहों पर लोग बजेड़ी गोला का उपयोग कर प्राकृतिक तरीके से कुछ ही दिनों में हड्डियों को जोड़ने का रामबाण इलाज अपना रहे हैं।