उत्तराखंड में बनेगी हिमालयी क्षेत्र की सबसे लंबी रेल सुरंग..जानिए हाईटेक प्रोजक्ट की खास बातें
ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल लाइन में पहाड़ के नीचे से 20 किलोमीटर लंबी टनल बनाई जाएगी। ये टनल हिमालयी क्षेत्र में बनने वाली अब तक की सबसे लंबी टनल होगी।
Jan 6 2021 5:05PM, Writer:Komal Negi
देश के इंफ्रास्ट्रक्चर को मजबूत करने में लगी केंद्र सरकार पहाड़ों पर रेल पहुंचाने की कवायद में जुटी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट में शामिल ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेललाइन परियोजना का काम तेजी से आगे बढ़ रहा है। पहाड़वासी सालों से उत्तराखंड के चार धामों के रेल सेवा से जुड़ने का इंतजार कर रहे हैं और ये इंतजार अगले कुछ सालों में खत्म होने वाला है। इसी कड़ी में ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल लाइन में पहाड़ के नीचे से 20 किलोमीटर लंबी टनल बनाने की योजना है। इस टनल के निर्माण के लिए रेल विकास निगम ने एलएंडटी कंपनी के साथ 3338 करोड़ का अनुबंध किया है। ये टनल हिमालयी क्षेत्र में बनने वाली अब तक की सबसे लंबी टनल होगी। हिमालयी क्षेत्र में बनने वाली सुरंग को टनल बोरिंग मैथड (टीबीएम) और न्यू ऑस्ट्रियन टनल मैथड से बनाया जाएगा, जो कि हिमालयी क्षेत्रों में चैनाग 47 प्लस 360 से 63 प्लस 117 किलोमीटर तक बनेगी। टनल की खुदाई टीबीएम के माध्यम से होगी। यह हिमालयी भूभाग में तैनात होने वाली सबसे बड़ी टनल बोरिंग मशीन होगी। टनल की लंबाई 20.807 किलोमीटर होगी, जो हिमालय क्षेत्र में किसी भी परियोजना में अब तक की सर्वाधिक लंबाई है। आगे पढ़िए
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ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल लाइन ऊबड़-खाबड़ हिमालयी इलाकों को पार करेगी। प्रोजेक्ट के तहत रेलवे लाइन के दोनों किनारों पर लगभग 800 मीटर के तटबंध के साथ 14.577 किलोमीटर अपलाइन और 13.123 किलोमीटर डाउनलाइन टनल का निर्माण शामिल है। ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेलवे प्रोजेक्ट के तहत चारों धामों को आपस में जोड़ने के लिए 125 किमी लंबी रेलवे लाइन बनाई जानी है। परियोजना के तहत 16 पुल, 17 सुरंग और 12 रेलवे स्टेशन बनाए जाने प्रस्तावित हैं। जिनमें से 10 स्टेशन पुलों के ऊपर और सुरंग के अंदर होंगे। खुली जमीन पर इन स्टेशनों का प्लेटफार्म वाला हिस्सा ही दिखाई देगा। सिर्फ शिवपुरी और ब्यासी स्टेशन ही ऐसे स्टेशन हैं, जिनका कुछ भाग खुली जमीन पर दिखेगा। दूसरे रेलवे स्टेशन सुरंग के अंदर और पुल के ऊपर बनाए जाएंगे। रेल मार्ग का 84.24 फीसदी भाग (105.47 किलोमीटर) हिस्सा अंडरग्राउंड रहेगा। सिर्फ रेलमार्ग ही नहीं ज्यादातर रेलवे स्टेशन भी सुरंग के अंदर और पुल के ऊपर बनाए जाएंगे। परियोजना का काम साल 2024-25 तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है।