image: Rescue of tigress in Corbett National Park

उत्तराखंड: दो हथिनियों आशा और गोमती के देशभर में चर्चे..इनकी मदद से हुआ बाघिन का रेस्क्यू

नैनीताल के कॉर्बेट नेशनल पार्क की दो निडर हथिनियों आशा एवं गोमती के अनुभव एवं पशु चिकित्सक के सटीक निशाने की मदद से आखिरकार 8 दिन के बाद बाघिन का रेस्क्यू ऑपरेशन सक्सेसफुल हुआ।
Jan 6 2021 11:13PM, Writer:Komal Negi

नैनीताल जिले से एक अच्छी खबर सामने आ रही है। आखिरकार नैनीताल के रामनगर में स्थित कॉर्बेट नेशनल पार्क के बिजरानी जोन में बाघिन को रेस्क्यू कर लिया गया है। यह रेस्क्यू अभियान बीते 8 दिनों से चल रहा था और भारी मशक्कत के बाद बाघिन का रेस्क्यू अभियान पूरा हो पाया। इसमें आशा एवं गोमती नामक दो हथिनियों एवं कॉर्बेट के दो स्नीफर डॉग्स की भी बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका रही। पशु चिकित्सक के सटीक निशाने की मदद से आखिरकार बाघिन का रेस्क्यू ऑपरेशन सक्सेसफुल हुआ और इस पूरे अभियान में कॉर्बेट के पशु चिकित्सक ही पूरा मोर्चा संभाले हुए थे। वहीं दोंनो अनुभवी हथिनियों की भी दाद देनी पड़ेगी कि रेस्क्यू अभियान के दौरान वे डरी नहीं और बाघिन के दहाड़ने पर भी वे पीछे नहीं हटीं। इस पूरे रेस्क्यू अभियान में कॉर्बेट की आशा एवं गोमती नामक दोनों हथिनियों की बहुत बड़ी भूमिका रही है और इन दोनों के बिना यह रेस्क्यू अभियान सफल नहीं हो पाता।

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दरअसल नैनीताल के कॉर्बेट नेशनल पार्क के बिजरानी जोन में बीते 15 दिसंबर को बाघिन को हरिद्वार के राजाजी टाइगर रिजर्व में ले जाने का निर्णय लिया गया था और इस अभियान का मोर्चा कॉर्बेट के पशु चिकित्सक दुष्यंत शर्मा ने संभाला था। उनके ऊपर अकेले बाघिन को खोज निकालने एवं उसको रेस्क्यू करने की जिम्मेदारी थी। बीते मंगलवार उन्होंने आखिरकार बाघिन का रेस्क्यू किया। आज चिकित्सक दुष्यंत शर्मा ने दो स्नीफर कुत्तों की मदद से बाघिन की खोजबीन शुरू की एवं आशा और गोमती हथिनियों पर सवार होकर रेस्क्यू टीम दोनों कुत्तों के सहारे बाघिन के पास पहुंची। दोनों स्नीफर डॉग रेस्क्यू टीम को एक छोटी सी पहाड़ी के पास ले गए। वहीं पहाड़ी पर मौजूद बाघिन रेस्क्यू टीम को अपनी ओर आते देख कर दहाड़ने लगी मगर गोमती और आशा अनुभवी होने के कारण बाघिन के दहाड़ने पर भी वे पीछे नहीं हटीं और रेस्क्यू टीम के साथ वहां डटी रहीं।

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रेस्क्यू टीम को हटाने के लिए बाघिन लगातार दहाड़ती रही मगर दोनों अनुभवी हथिनी पीछे नहीं हटीं। मौका देखकर बिना देरी किए पशु चिकित्स डॉक्टर शर्मा ने तकरीबन 25 मीटर की दूरी से ट्रेंकुलाइज की मदद से बाघिन को बेहोशी का इंजेक्शन मार दिया जिससे वो बेहोश हो गई और तकरीबन सवा घंटे तक बाघिन बेहोश रही। इस दौरान उसको पिंजरे में डालकर उसको रेडियो कॉलर पहनाया गया और सवा घंटे के बाद उसको इंजेक्शन लगाकर होश में लाया गया। इसके बाद रात में ही वाहनों की मदद से बाघिन को हरिद्वार के मोतीचूर में पहुंचा दिया गया। रेस्क्यू ऑपरेशन सफल होने के बाद से ही कॉर्बेट के कर्मचारियों एवं अधिकारियों के बीच में खुशी की लहर है। वहीं इस पूरे रेस्कयू ऑपरेशन की बागडोर संभाले डॉ शर्मा का कहना है कि हिंसक वन्यजीवों के रेस्क्यू अभियान में धैर्य एवं संयम बरतने की बहुत जरूरत होती है।


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