उत्तराखंड में चीन की कंपनियों को नहीं मिलेगा कोई भी टेंडर..जारी हुए आदेश
राज्य सरकार अब चीनी कंपनियों को कोई भी बड़ा टेंडर नहीं देगी। सरकारी विभागों में भी चाइना मेड सामान की आपूर्ति करने पर रोक लगा दी गई है। आगे पढ़िए पूरी रिपोर्ट
Jan 8 2021 4:02PM, Writer:Komal Negi
गलवान घाटी में चीन के धोखे के बाद भारत-चीन संबंधों में तनातनी जारी है। चीनी कंपनियों की देश में एंट्री बैन करने के लिए हर स्तर पर कदम उठाए जा रहे हैं। इसी कड़ी में उत्तराखंड सरकार ने भी ड्रैगन पर नकेल कसने का पक्का इंतजाम कर दिया है। राज्य सरकार अब चीनी कंपनियों को कोई भी बड़ा टेंडर नहीं देगी। प्रदेश में बड़ी परियोजनाओं के लिए होने वाले ग्लोबल टेंडर में चीन समेत पड़ोसी देशों की कंपनियां भाग नहीं ले सकेंगी। गलवान घाटी में चीन से हुए संघर्ष के बाद केंद्र सरकार ने विदेशी कंपनियों के लिए देश में निवेश के संदर्भ में नियमों में बदलाव किया था। अब राज्य की सरकारें भी आर्थिक मोर्चे पर चीन को झटका देने का इंतजाम कर रही हैं। उत्तराखंड सरकार ने भी ग्लोबल टेंडर संबंधी नियमावली में बदलाव करते हुए चीन के बड़ी परियोजनाओं के टेंडर में शामिल होने पर रोक लगा दी है। इस संबंध में वित्त सचिव सौजन्या की ओर से आदेश जारी कर दिए गए हैं। इसके अनुसार 2017 की खरीद नियमावली में बदलाव किया गया है।
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जिसमें राज्य की परियोजनाओं में पड़ोसी देशों की कंपनियों के शामिल होने पर रोक लगाई गई है। यह फैसला चीन की कंपनियों को राज्य में निवेश से रोकने के लिए किया गया है। आदेश के बाद अब चीन या अन्य पड़ोसी देश में रजिस्टर्ड कंपनी राज्य के टेंडर में प्रतिभाग नहीं कर पाएगी। इसके अलावा सरकारी विभागों में मेड इन चायना सामान की आपूर्ति भी नहीं की जाएगी। सरकारी विभागों के लिए होने वाली खरीद के दौरान कंपनियों को ये सर्टिफिकेट देना होगा कि उनका प्रोडक्ट मेड या असेम्बल्ड इन चाइना नहीं है। इस तरह उत्तराखंड ने ड्रैगन को आर्थिक मोर्चे पर तगड़ा झटका दिया है। चीन की कंपनियां हाईवे, रेलवे और सड़क परियोजनाओं में बड़ी तादाद में निवेश करती रही हैं। इस वक्त राज्य में कई बड़ी परियोजनाओं का काम चल रहा है। नई परियोजनाएं भी शुरू होने वाली हैं। अब राज्य सरकार के फैसले के बाद चीन की कपंनियां इन परियोजनाओं की निविदा प्रक्रिया में हिस्सा नहीं ले पाएंगी। टेंडरिंग की प्रक्रिया में चीन को हिस्सा लेने की इजाजत नहीं होगी।