उत्तराखंड: 4 जिलों में ट्रैफिक पुलिस का बड़ा अभियान..नो पार्किंग में खड़ी गाड़ियों को उठाएगी क्रेन
देहरादून, हरिद्वार, ऊधमसिंहनगर और नैनीताल में सड़क किनारे खड़े वाहनों को उठाने के लिए क्रेन पीपीपी मोड पर ली जाएंगी। प्रदेश के ये चार जिले ऐसे हैं, जहां ट्रैफिक समस्या विकराल रूप ले चुकी है।
Jan 16 2021 10:05AM, Writer:Komal Negi
अगर आप भी नो पार्किंग जोन में गाड़ी खड़ी करते हैं तो इस आदत को तुरंत बदल लें। अब अगर किसी ने नो पार्किंग जोन में गाड़ी खड़ी की तो ट्रैफिक पुलिस की क्रेन गाड़ी को उठाकर ले जाएगी। इसके लिए क्रेन पीपीपी मोड पर ली जाएंगी। जिन लोगों के वाहन नो पार्किंग जोन में खड़े मिलेंगे, उनसे दोगुना जुर्माना वसूला जाएगा। ट्रैफिक पुलिस राज्य में नई योजना लागू करने की कवायद में जुटी है। इसके तहत ट्रैफिक निदेशालय सड़क किनारे खड़े वाहनों को क्रेनों से उठाने का अभियान शुरू करने जा रहा है। देहरादून, हरिद्वार, ऊधमसिंहनगर और नैनीताल में इस काम के लिए क्रेन पीपीपी मोड पर ली जाएंगी। प्रदेश के ये चार जिले ऐसे हैं, जहां ट्रैफिक समस्या विकराल रूप ले चुकी है। इससे निपटने के लिए यातायात निदेशालय अब एक्शन मोड में नजर आ रहा है। चारों जिलों को ट्रैफिक की समस्या से निजात दिलाने के लिए सड़क किनारे खड़े वाहनों को क्रेनों से उठाने की योजना है। अभियान को सफल बनाने के लिए क्रेन पीपीपी मोड पर ली जाएगी। प्रस्ताव तैयार है, जिसे मंजूरी के लिए शासन को भेजा गया है। जैसे ही मंजूरी मिलेगी, टेंडर प्रक्रिया शुरू की जाएगी। आगे पढ़िए
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देहरादून, हरिद्वार, ऊधमसिंहनगर और नैनीताल जैसे शहरों में सड़कें पहले ही संकरी हैं, उस पर सड़क किनारे खड़ी गाड़ियों की वजह से यहां अक्सर जाम की स्थिति बन जाती है। वाहनों को रोड से हटाने के लिए निदेशालय के पास क्रेन की भी भारी कमी है। आपको जानकर हैरानी होगी कि प्रदेश के 13 जिलों में केवल 54 क्रेन हैं। जिनसे सालभर में 2309 वाहन उठाए गए। सबसे ज्यादा कार्रवाई नैनीताल जिले में की गई। देहरादून में 367 और हरिद्वार में 111 वाहन उठाए गए। ऊधमसिंहनगर में एक भी कार्रवाई नहीं की गई। यातायात निदेशक केवल खुराना ने कहा कि सड़क किनारे खड़े वाहन ट्रैफिक जाम का बड़ा कारण हैं। ऐसे वाहनों को उठाने के लिए पीपीपी मोड पर क्रेन ली जा रही है। उत्तर प्रदेश के प्रयागराज और लखनऊ जिलों में क्रेन पीपीपी मोड पर ली गईं थी। वहां ये प्रयोग सफल रहा है। अब उत्तराखंड में भी ये प्रयोग दोहराया जाएगा।