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उत्तराखंड में 8 लाख छात्रों को खुशखबरी..किताबों के लिये डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर से मिलेंगे रुपए

प्रदेश के लाखों छात्र-छात्राओं को किताबों के लिए डीबीटी के जरिए धनराशि दी जाएगी। महकमे ने इसे लेकर कसरत तेज कर दी है।
Feb 5 2021 5:30PM, Writer:Komal Negi

उत्तराखंड शासन ने निर्धन वर्ग के छात्रों की एक बड़ी समस्या हल कर दी। प्रदेश के सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले छात्रों को अब किताबों के पैसे डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर यानी डीबीटी के जरिए मिलेंगे। इससे सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले लगभग 8 लाख छात्र लाभान्वित होंगे। सरकारी स्कूल में पहली कक्षा से आठवीं कक्षा तक के सभी वर्गों के छात्रों को किताबों के पैसे डीबीटी के जरिए दिए जाएंगे। इसके अलावा कक्षा 9 से 12वीं तक के एससी और एसटी वर्ग के छात्रों को भी किताबों के लिए पैसे दिए जाएंगे। इस तरह प्रदेश के लाखों छात्र-छात्राओं को किताबों के लिए धनराशि दी जाएगी।

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महकमे ने इसे लेकर कसरत तेज कर दी है। आपको बता दें कि प्रदेश में कक्षा 1 से 8वीं तक सभी छात्र-छात्रों को पाठ्यपुस्तकें मुफ्त दी जाती हैं। कक्षा नौ से 12वीं तक के अनुसूचित जाति-जनजाति के छात्र-छात्राओं को मुफ्त किताबें देने का प्रावधान है। कक्षा एक से पांचवी तक पाठ्यपुस्तक के लिए प्रत्येक छात्र को 250 रुपये और कक्षा 6 से 8वीं तक 400 रुपये प्रति छात्र देने का प्रावधान है। 9वीं से 10वीं तक के प्रत्येक छात्र को 600 रुपये और 11वीं और 12वीं में विज्ञान वर्ग के लिए छात्रों को 1000 रुपये की धनराशि डीबीटी से दी जाती रही है। 11वीं और 12वीं के अन्य विषयों के लिए 700 रुपये प्रति छात्र डीबीटी से धनराशि देने का प्रावधान है।

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पिछले साल शिक्षा विभाग ने पाठ्यपुस्तकों के लिए धनराशि न देकर छात्रों को पाठ्यपुस्तकें मुहैया कराने की बात कही थी। दरअसल कोरोना महामारी की वजह से पिछले साल शिक्षा सत्र शुरू तो हुआ, लेकिन शिक्षण संस्थाएं नहीं खुल पाईं थीं। यही नहीं डीबीटी से पैसा देने के बावजूद दूरदराज के छात्रों को पाठ्य पुस्तकें नहीं मिलने का मामला मुख्यमंत्री तक पहुंचा था। जिसके बाद छात्रों के खाते में पुस्तकों के एवज में पैसा ट्रांसफर कराने की बजाय उन्हें पाठ्यपुस्तकें उपलब्ध कराने का फैसला लिया गया था। हालांकि इस शिक्षा सत्र के लिए छात्रों के खातों में डीबीटी के माध्यम से धनराशि पहुंचाए जाने का निर्णय हुआ है। ताकि छात्रों को किताबें मिल सकें। इससे प्रदेश के लगभग 8 लाख छात्र लाभान्वित होंगे।


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