image: Satellite image of chamoli glacier burst

चमोली आपदा पर वैज्ञानिकों का चौंकाने वाला खुलासा..8 डिग्री सेंटीग्रेड ने मचाई तबाही

वैज्ञानिकों का कहना है कि पांच से सात फरवरी के बीच इलाके के तापमान में अचानक औसतन सात से आठ डिग्री सेंटीग्रेड की बढ़ोतरी हो गई थी। जो की तबाही की वजह बनी।
Feb 11 2021 3:49PM, Writer:Komal Negi

चमोली में त्रासदी ने कई लोगों की जिंदगी को लील लिया। 35 लोग अब भी तपोवन स्थित टनल में फंसे हैं, जिन्हे बचाने की कोशिशें जारी हैं। चमोली में आई जलप्रलय को जलवायु परिवर्तन की घटना माना जा रहा है। इसे लेकर वैज्ञानिकों ने कई चौंकाने वाले खुलासे किए हैं। भारतीय सुदूर संवेदी संस्थान के वैज्ञानिकों का कहना है कि पांच से सात फरवरी के बीच इलाके के तापमान में अचानक औसतन सात से आठ डिग्री सेंटीग्रेड की बढ़ोतरी हो गई थी। जो की तबाही की वजह बनी। वैज्ञानिकों के मुताबिक कार्टोसेट सैटेलाइट के जरिये मिली तस्वीरों से पता चलता है कि ऋषिगंगा नदी के शुरुआती छोर के पहाड़ पर बहुत बड़ी चट्टान है, जिस में दरार पड़ी हुई थी। वहीं चट्टान के ऊपरी खुले हिस्से में भारी मात्रा में बर्फ जमा थी। यहां पहाड़ी के नीचे बहुत तेज ढलान वाली खाई थी। जिसमें तीनों तरफ से लाखों टन बर्फ जमा थी।

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5 से 7 फरवरी के बीच इस इलाके के तापमान में अचानक औसतन 7 से 8 डिग्री सेंटीग्रेड की बढ़ोतरी हो गई। जिससे बर्फ पिघलने लगी और चट्टान के भीतर और ज्यादा पानी जमा हो गया। भारी दबाव के चलते बर्फ से ढकी चट्टान तेज धमाके के साथ टूट गई। क्षेत्र में ढलान बहुत ज्यादा होने की वजह से चट्टान टूटने के साथ भारी मात्रा में मलबा तेजी से नीचे आया, जो की तबाही की वजह बना। आगे और तेज ढाल व गहरी खाई होने से ऊपर से आए मलबे का बहाव और तेज हो गया। जिस वजह से पहले ऋषिगंगा प्रोजेक्ट और उसके बाद तपोवन प्रोजेक्ट तबाह हो गया। हालांकि निचले इलाके तक पहुंचते-पहुंचते ढलान कम हो गया। बता दें कि चमोली आपदा में 170 लोग लापता हैं। 34 लोगों के शव बरामद कर लिए गए हैं, जिनमें से नौ लोगों की शिनाख्त हो चुकी है। वहीं 12 मानव अंग क्षत-विक्षत हालत में मिले हैं।


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