चमोली जिले में लगातार फैल रहा है वसुधरा ताल, विशेषज्ञों की चिंता बढ़ी..जल्द होगी स्टडी
वसुधरा ताल के क्षेत्रफल में लगातार बढ़ोतरी हो रही है, जिसने विशेषज्ञों की चिंता बढ़ा दी है। राज्य आपदा प्रबंधन विभाग भी ताल के क्षेत्रफल में हो रही बढ़ोतरी की वजह जानना चाहता है। पढ़िए पूरी खबर
Mar 3 2021 7:24PM, Writer:Komal Negi
उत्तराखंड का सीमांत जिला चमोली एक बार फिर प्राकृतिक आपदा से कराह रहा है। 7 फरवरी को आए तबाही के सैलाब ने यहां सैकड़ों लोगों की जिंदगी लील ली। प्राकृतिक आपदाओं के लिहाज से उत्तराखंड बेहद संवेदनशील है, ऐसे में यहां चमोली आपदा जैसा भारी नुकसान दोबारा न हो, इसे लेकर हर स्तर पर मंथन चल रहा है। एक न्यूज रिपोर्ट के मुताबिक अब राज्य आपदा प्रबंधन विभाग ने चमोली की नीती घाटी में स्थित वसुधरा ताल का वैज्ञानिक अध्ययन कराने का निर्णय लिया है। इस ताल के क्षेत्रफल में लगातार बढ़ोतरी हो रही है। जिसने विशेषज्ञों की चिंता बढ़ा दी है। यही वजह है कि राज्य आपदा प्रबंधन विभाग ताल के क्षेत्रफल में हो रही बढ़ोतरी की वजह जानना चाहता है, ताकि जिले को दोबारा ऋषिगंगा जैसी तबाही का सामना न करना पड़े। विभाग ने वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन जियोलॉजी के वैज्ञानिकों को झील के अध्ययन की जिम्मेदारी सौंपी है। वैज्ञानिकों की टीमें वसुधरा ताल के फैलाव के कारणों सहित तमाम पहलुओं पर अध्ययन करने के बाद दो सप्ताह में विस्तृत रिपोर्ट विभाग को सौंपेंगी।
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चमोली में स्थित वसुधरा ताल का क्षेत्रफल लगातार बढ़ रहा है। पिछले दिनों राज्य आपदा प्रबंधन विभाग के सचिव एसए मुरुगेशन की अध्यक्षता में हुई बैठक में भी ये मुद्दा उठा था। बैठक में उच्च हिमालयी क्षेत्रों में स्थित ग्लेशियरों, झीलों और हिमस्खलन संभावित क्षेत्रों की निगरानी से जुड़े तमाम पहलुओं पर चर्चा की गई। इस दौरान वसुधरा ताल के क्षेत्रफल में बढ़ोतरी के कारणों का पता लगाने के लिए वैज्ञानिक अध्ययन कराने पर भी सहमति बनी। ताल के वैज्ञानिक अध्ययन के साथ ही उच्च हिमालयी क्षेत्रों में पहाड़ियों के ढलान पर जमा करोड़ों टन मलबे की जिओ मैपिंग भी की जाएगी। वैज्ञानिक अध्ययन के लिए प्रस्ताव तैयार किया जाएगा। प्रदेश में नदियों में बाढ़, हिमस्खलन और भूस्खलन की घटनाओं की निगरानी और पूर्व चेतावनी के लिए सभी संबंधित विभाग एक-दूसरे को तकनीकी जानकारियां भी मुहैया कराएंगे।