image: Engineers worship goddess Dhari Devi

उत्तराखंड: कुदरत के आगे लाचार हुए इंजीनियर..थक-हारकर मां धारी देवी की शरण में पहुंचे

कुदरत के आगे इंजीनियर भी हार मान चुके हैं। जब समस्या का कोई समाधान नहीं निकला तो इंजीनियर थक-हारकर मां धारी देवी की शरण में पहुंच गए।
Jun 3 2021 9:15AM, Writer:कोमल नेगी

कहते हैं परम ईश्वरीय शक्ति के सामने इंसान की कोई बिसात नहीं। जहां इंसानी सोच और मशीनों की ताकत फेल हो जाती है, वहां आस्था और प्रार्थनाएं जीत जाती है। मुश्किलों में भी राह नजर आने लगती है। अब उत्तराखंड में ही देख लें। एक खबर के मुताबिक यहां बारिश-भूस्खलन से ऋषिकेश-बदरीनाथ राष्ट्रीय राजमार्ग बंद हुआ तो लोनिवि के अधिकारी मां धारी देवी की शरण में पहुंच गए। अधिशासी अभियंता बीएल मिश्रा धारी देवी मंदिर में पहुंचे और प्रसाद चढ़ाकर वहां पूजा-अर्चना की। दरअसल बारिश और भूस्खलन की वजह से ऋषिकेश-बदरीनाथ राष्ट्रीय राजमार्ग नरकोटा के पास बंद पड़ा है। यहां बार-बार लैंडस्लाइड हो रहा है, जिससे रास्ते को खोलने में परेशानी हो रही है।

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कुदरत के आगे इंजीनियर भी हार मान चुके हैं। जब समस्या का कोई समाधान नहीं निकला तो इंजीनियर थक-हारकर मां धारी देवी की शरण में पहुंच गए। वैसे इंजीनियरों के भगवान की शरण में जाने का ये पहला मामला नहीं है। तोताघाटी इलाके से तो आप वाकिफ ही होंगे। यहां भी रोड कटिंग के दौरान बार-बार पहाड़ी से मलबा आ जाता था। मजदूर दिनभर काम करते, लेकिन रात को पहाड़ी से फिर मलबा गिरने लगता। पूरा दिन मलबा साफ करने में ही बीत जाता था। इससे परेशान होकर लोक निर्माण विभाग के इंजीनियरों ने चमराड़ा देवी की पूजा-अर्चना की थी। इसी तरह बीआरओ ने भी सिरोबगड़ पर भूस्खलन प्रभावित ऋषिकेश-बदरीनाथ राष्ट्रीय राजमार्ग की मरम्मत से पहले भगवान शिव को मनाया था। ताजा मामला नरकोटा का है। यहां बारिश से बार-बार हो रहे भूस्खलन से परेशान इंजीनियर साहब मां धारी देवी से मदद मांगने मंदिर पहुंच गए।

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ऋषिकेश-बदरीनाथ राष्ट्रीय राजमार्ग नरकोटा के समीप तीन दिन से बंद है। इस कारण रुद्रप्रयाग से आने वाले वाहनों को तिलवाड़ा-घनसाली-कीर्तिनगर से ऋषिकेश भेजा जा रहा है। सड़क खोलने में कई दिन लग सकते हैं। पहाड़ में सड़कों के बार-बार क्षतिग्रस्त होने के पीछे कई वजहें हैं। दरअसल पिछले दिनों उत्तराखंड में जो भी नई सड़कें बनीं या जिन सड़कों का विस्तार हुआ उन्हें अनियोजित ढंग से बनाया गया। ब्लास्ट से हिमालय क्षेत्र की कमजोर पहाड़ियां हिल गईं। सड़क निर्माण के लिए लाखों पेड़ काटे गए। इसके गंभीर नतीजे बार-बार होने वाले भूस्खलन के रूप में हमारे सामने हैं। जगह-जगह सड़कें बंद हैं। कुदरत के सामने हार मान चुके इंजीनियर भी अब भगवान की शरण में पहुंच कर मदद मांग रहे हैं, ताकि सड़क निर्माण के काम में किसी तरह की बाधा न आए।


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