उत्तराखंड: नैनीताल में मिली 200 मीटर लंबी अंडरग्राउंड झील..IIT की रिसर्च में खुला बड़ा राज़
नैनी झील से रिसाव की खबर ने लोगों को परेशान किया हुआ था। भूस्खलन के डर से कई लोगों ने अपने मकान तक छोड़ दिए। अब यहां के लोग चैन की सांस ले सकेंगे। जानिए पूरा मामला
Jun 3 2021 11:40AM, Writer:Komal Negi
उत्तराखंड की खूबसूरत सरोवर नगरी नैनीताल। हर साल लाखों सैलानी इस खूबसूरत नगरी का दीदार करने आते हैं, नैनी झील में बोटिंग का लुत्फ उठाते हैं। इसी नैनीताल में अब कुदरत का एक ऐसा अजूबा दिखा है, जिसने वैज्ञानिकों को भी हैरान कर दिया है। नैनीताल में एक अंडरग्राउंड झील मिली है। ये नैनी झील से करीब 400 मीटर दूर स्थित है। आईआईटी रुड़की के सर्वे में जब क्षेत्र में अंडरग्राउंड झील होने के संकेत मिले तो वैज्ञानिक भी चौंक गए थे। सर्वे रिपोर्ट के अनुसार नई झील करीब 200 मीटर लंबी और पांच मीटर तक गहरी है। इस झील के मिलने के बाद नैनी झील से रिसाव की चिंताओं पर भी विराम लग गया है। दरअसल नैनी झील से रिसाव की खबरें जब-तब सामने आती रही हैं। नैनीताल का निचला हिस्सा चार दशकों से संवेदनशील बना हुआ है। यहां बलिया नाले में 1980 में भूस्खलन के बाद इसके ट्रीटमेंट और सर्वे का काम शुरू हुआ था। माना जा रहा था कि भूस्खलन की वजह से नैनी झील से पानी का रिसाव होने लगा है, जो कि शहर के लिए बड़ा खतरा है। झील से रिसाव की खबर फैलते ही स्थानीय लोग दहशत में आ गए थे। भूस्खलन के डर से कई लोगों ने अपने मकान तक छोड़ दिए। आगे पढ़िए
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चार दशकों में करोड़ों रुपये खर्च हुए, लेकिन लोगों को दहशत से निजात नहीं मिल पाई। तब इसके सर्वे के लिए आईआईटी रुड़की, वाडिया इंस्टीट्यूट, देहरादून और जीएसआई समेत कई एजेंसियों को बुलाया गया। इसी दौरान आईआईटी रुड़की की सर्वे टीम ने नैनी झील से करीब 400 मीटर दूर भवाली के पास एक अंडरग्राउंड झील खोजी है। रिपोर्ट से पता चला है कि यहां पानी का जो रिसाव हो रहा है, वह नैनी झील से नहीं बल्कि भूमिगत नई झील के कारण हो रहा है। नैनीताल के डीएम धीराज गर्ब्याल ने कहा कि इस भूमिगत झील के पानी को अपलिफ्ट कर नैनीताल तक पहुंचाने की योजना पर काम चल रहा है। इस इलाके का संयुक्त सर्वे हो चुका है। नई झील का पता चलने से बलियानाले के बड़े इलाके में चार दशकों से हो रहे भूस्खलन को रोकने में भी मदद मिलेगी।