पहाड़ के लीई गांव का दुर्भाग्य: आज भी मरीज को कंधे में ढोकर 5 Km पैदल चलते हैं लोग
मंडल मुख्यालय पौड़ी से सटे कोट ब्लॉक की लीई गांव का एक वीडियो सोशल मीडिया में पिछले दिनों लगातार छाया रहा।
Jun 25 2021 11:27AM, Writer:सिद्धान्त की रिपोर्ट
पौड़ी मुख्यालय के समीपवर्ती ब्लॉकों में सड़क ना होने के चलते बुजुर्ग मरीजों को पालकी के मदद से पहुंचाया जाता है अस्पताल, पहाड़ों में मूलभूत सुविधाओं के अभाव के चलते गांव से पलायन हो रहा है जिसका अंदाजा सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे इस वीडियो से लगाया जा सकता है की सड़क ना होने के चलते बुजुर्ग लोगों को पार्टी की मदद से 5 किलोमीटर पैदल चलकर अस्पताल पहुंचाया जाता है यदि गांव में युवा ना हो तो आखिर कैसे इन बुजुर्गों को अस्पताल तक पहुंचाया जाएगा। मंडल मुख्यालय पौड़ी से सटे कोट ब्लॉक की लीई गांव का एक वीडियो सोशल मीडिया में पिछले दिनों लगातार छाया रहा। जिसमें ग्रामीणों द्वारा एक बीमार व्यक्ति को डोली के माध्यम से स्वास्थ्य केंद्र पहुंचाया गया। यह हाल उस विधानसभा का है जो मंडल मुख्यालय पौड़ी से सटी हुई है। इसके बावजूद इसकी दशा और दिशा पिछले 20 सालों में अब तक नहीं बदल पाई है। स्थानीय ग्रामीणों का कहना है कि अवस्थाओं का दौर ये सभी राज्य गठन के बाद से ही लगातार देख रहे हैं। ग्रामीणों ने आरोप लगाया है कि उनकी ग्राम सभा को मुख्य मार्ग से जोड़ने वाली सड़क को सालों पहले स्वीकृत कर दिया गया था। यहां तक कि सड़क के लिए पैसे भी स्वीकृत कर दिए गए। मगर उसके बाद भी उनके गांव में अब तक सड़क नहीं पहुंच पाई है, जिसके कारण ग्रामीणों को अवस्थाओं का सामना करते हुए बीमार पीड़ित को डोली के माध्यम से जिला मुख्यालय स्थित अस्पताल पहुंचाना पड़ता है।
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ग्रामीणों ने कहा कि यह बड़ा दुर्भाग्य का विषय है कि राज्य गठन के 20 साल बाद भी मुख्यालय से सटे ब्लॉक के गांव तक सड़क नहीं पहुंच पाई है जिसका खामियाजा यहाँ रहने वाले ग्रामीणों को उठाना पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि यही कारण है कि उनका गांव खाली होने के कगार पर पहुंच गया है। वाकई में यह बड़ा दुर्भाग्य का विषय है कि जहां प्रदेश सरकार द्वारा हर गांव को सड़क से जोड़ने की बात व दावे किए जाते हैं मगर वे दावे और वादे धरातल पर कहीं नजर नहीं आते। यह केवल इस गांव की स्थिति नहीं है। जबकि यह स्थिति जनपद पौड़ी के कई ऐसे ही गांव की है जहां पर बीमार और असहाय लोगों को प्राथमिक उपचार तक के लिए डोली के माध्यम से स्वास्थ्य केंद्रों तक पहुंचाया जाता है। यह स्थिति उस जनपद की है जिसने राज्य गठन के बाद से ही प्रदेश को अब तक पांच मुख्यमंत्री दे दिए है। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि अन्य जनपदों में स्वास्थ्य व्यवस्थाओं का क्या हाल होगा।