उत्तराखंड: यहां खिला दुर्लभ ब्लू पॉपी का फूल, इसे कहा जाता है 'फूलों की रानी'
फूलों की घाटी की सुंदरता बढ़ा रहा है जापानी फूल " ब्लू पॉपी "। विदेशी पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र-
Jul 10 2021 12:43PM, Writer:Komal Negi
उत्तराखंड के चमोली में स्थित विश्व धरोहर फूलों की घाटी जैव विविधता का खजाना है। 87.50 किमी वर्ग क्षेत्र में फैली इस घाटी को 1982 में यूनेस्को ने राष्ट्रीय उद्यान घोषित किया।हिमाच्छादित पर्वतों से घिरी इस घाटी की सुंदरता देखते ही बनती है। फूलों की घाटी में दुनिया भर के दुर्लभ प्रजाति के फूल, जड़ी-बूटी, पक्षी एवं जीव जंतु पाए जाते हैं। फूलों की घाटी में 500 से अधिक फूलों की प्रजातियां देखने को मिलती हैं। फूल प्रेमियों के लिए ये जगह स्वर्ग समान है। इन दिनों घाटी में ब्लू पॉपी अपनी खूबसूरती से लोगों को आकर्षित कर रहा है। ब्लू पॉपी नामक यह जापानी फूल तकरीबन चार दशक पहले घाटी में पहली बार देखने को मिला था और तब से ही यह घाटी का सदस्य बन गया है और यह हर साल उगता है। इन दिनों यह जापानी फूल पर्यटकों को खूब लुभा रहा है और अपनी खूबसूरत छटा बिखेर रहा है।
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ब्लू पॉपी को हिमालय फूलों की रानी भी कहा जाता है और हेमकुंड साहिब एवं फूलों की घाटी में यह फूल प्रचुर मात्रा में उगता है। अगस्त महीने के आखिरी तक हेमकुंड साहिब एवं फूलों की घाटी की खूबसूरती में यह फूल चार चांद लगा देता है। दुनिया में ब्लू पॉपी की कुल 40 प्रजातियां मौजूद हैं और भारत में 20 प्रजातियां पाई जाती हैं। चलिए आपको ब्लू पॉपी के फूलों की घाटी में आने की कहानी भी बताते हैं। दरअसल 1986 तक ब्लू पॉपी का एक भी फूल घाटी में मौजूद नहीं था। इसी वर्ष जापान के एक रिसर्च स्कॉलर फूलों का शोध करने के लिए फूलों की घाटी पर आए और उन्होंने जापान में काफी अधिक पसंद किए जाने वाले ब्लू पॉपी के बीज घाटी में बिखरा दिए। इस तरह फूलों की घाटी में 4 दशक पहले यह फूल मेहमान बनकर आया और तबसे ही फूलों के परिवार का एक अभिन्न अंग बना हुआ है। फूलों की घाटी के वन क्षेत्राधिकारी बृजमोहन भारती का कहना है के ब्लू पॉपी को पर्यटक खूब पसंद करते हैं।