उत्तराखंड का सपूत मणिपुर में शहीद, उल्फा आतंकवादियों ने किया था अपहरण
हवलदार हयात सिंह महर मणिपुर में तैनात थे। 12 जुलाई को उल्फा उग्रवादियों ने उनका अपहरण कर लिया था, 16 जुलाई को सेना ने उनका पार्थिव शरीर बरामद किया।
Jul 22 2021 10:30AM, Writer:Komal Negi
वीरभूमि उत्तराखंड एक बार फिर शोक में डूबी है। पहाड़ के एक और जांबाज ने देश के लिए अपने प्राणों का बलिदान दे दिया। ऊधमसिंहनगर के खटीमा निवासी हवलदार हयात सिंह महर अब हमारे बीच नहीं रहे। 48 साल के हवलदार हयात सिंह महर पुत्र स्व. त्रिलोक सिंह का 12 जुलाई को मणिपुर में उल्फा उग्रवादियों ने अपहरण कर लिया था। 16 जुलाई को उनका क्षत-विक्षत शव मिला। हवलदार हयात सिंह महर आसाम राइफल्स में तैनात थे। बुधवार को शहीद का पार्थिव शरीर उनके निवास स्थान झनकट पहुंचा तो परिजन बदहवास हो गए। हर तरफ चीत्कार और रोने की आवाजें सुनाई देने लगीं। शहीद का अंतिम संस्कार सैन्य सम्मान के साथ बनबसा, शारदा घाट पर किया गया। उनके निधन से क्षेत्र में शोक की लहर है। शहीद हवलदार महर अपने पीछे पत्नी चंद्रा महर, पुत्री रेखा (21) व पुत्र अमित सिंह महर (18) को रोता बिलखता छोड़ गए हैं। शहीद की पुत्री रेखा बीएससी व पुत्र अमित बीटेक की पढ़ाई कर रहे है।
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हवलदार हयात सिंह महर 31 आसाम राइफल्स का हिस्सा थे। इन दिनों वो मणिपुर मे तैनात थे। वह 1992 में भर्ती हुए थे। मूलरूप से पिथौरागढ़ के रहने वाले हयात सिंह का परिवार झनकट की डिफेंस कॉलोनी में रहता है। 31 आसाम राइफल्स के सूबेदार पूरन सिंह ने बताया कि शहीद हयात सिंह महर का उल्फा उग्रवादियों ने 12 जुलाई को अपहरण कर लिया था और 16 जुलाई को उनका पार्थिव शरीर मिला था। बुधवार तड़के शहीद का पार्थिव शरीर लेकर रेजीमेंट के दो अधिकारी उनके निवास स्थान पहुंचे। जहां शहीद को श्रद्धांजलि देने के लिए लोगों का हुजूम उमड़ पड़ा। नानकमत्ता विधायक डॉ. प्रेम सिंह राणा समेत अन्य लोगों ने भी उनके आवास पर पहुंचकर श्रद्धांजलि अर्पित की। बाद में सेना के जवान शहीद का पार्थिव शरीर लेकर शारदा घाट पहुंचे, जहां सैन्य सम्मान के साथ शहीद को अंतिम विदाई दी गई।