उत्तराखंड: कभी जूते खरीदने के पैसे नहीं थे, अब ओलंपिक में हैट्रिक लगाकर वंदना ने रचा इतिहास
एक वक्त ऐसा भी था, जब इस खिलाड़ी के पास अपनी छोटी-छोटी जरूरतें पूरी करने तक के लिए पैसे नहीं थे। वो हॉकी स्टिक और जूते तक नहीं खरीद पाती थीं।
Aug 3 2021 5:14PM, Writer:Komal Negi
टोक्यो ओलंपिक में दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ गोल की हैट्रिक लगाने वाली वंदना कटारिया को पूरा देश सलाम कर रहा है। भारतीय महिला हॉकी टीम ऑस्ट्रेलिया जैसी दिग्गज पर जीत दर्ज करते हुए सेमीफाइनल में पहुंच गई है। देशवासियों से मिले प्यार से उत्तराखंड के हरिद्वार की हॉकी प्लेयर वंदना भी अभिभूत हैं। परिजनों से बातचीत के दौरान उन्होंने कहा कि इंडियन हॉकी टीम मेडल जीतकर ही वापस आएगी। वंदना कटारिया आज भले ही स्टार बन गई हों, लेकिन एक वक्त ऐसा भी था, जब इस खिलाड़ी के पास अपनी छोटी-छोटी जरूरतें पूरी करने तक के लिए पैसे नहीं थे। वो हॉकी स्टिक और जूते तक नहीं खरीद पाती थीं। वंदना हरिद्वार के गांव रोशनाबाद की रहने वाली हैं। मई में उनके पिता का निधन हो गया था। वंदना उन्हें आखिरी बार देख भी नहीं पाई थीं। अब वो देश के लिए मेडल जीतकर अपने दिवंगत पिता को श्रद्धांजलि देना चाहती हैं। वंदना के पिता नाहर सिंह कटारिया रेसलर थे।
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परिजनों ने बताया कि पिता हमेशा वंदना को सपोर्ट करते थे। दादी वंदना से घर के कामों में ध्यान लगाने को कहतीं तो वो उन्हें भी टोक दिया करते थे। 3 महीने पहले नाहर सिंह ने दुनिया को अलविदा कह दिया। ओलंपिक की तैयारी के दौरान जब वंदना को पिता के निधन की खबर मिली तो वो बुरी तरह टूट गईं, लेकिन अगले ही पल उन्होंने पिता के सपने को पूरा करने की ठान ली। इस सपने को पूरा करने के लिए ये जरूरी था कि वंदना की ट्रेनिंग में कोई बाधा न आए। वंदना पिता के अंतिम दर्शन करने के लिए गांव नहीं गईं और मैदान पर डटी रहीं। इस तरह हर चुनौती पर जीत हासिल कर वंदना इतिहास बनाने में कामयाब रहीं। साउथ अफ्रीका संग हुए मुकाबले में शानदार प्रदर्शन करने वाली वंदना कटारिया ओलंपिक के किसी मैच में हैट्रिक लगाने वाली पहली भारतीय महिला खिलाड़ी बन गई हैं। भारत की यह जीत पूरी तरह से वंदना के नाम रही। छोटे से गांव की रहने वाली वंदना कटारिया की इस जीत पर पूरा देश और उत्तराखंड गर्व महसूस कर रहा है।