उत्तराखंड: इन महिलाओं ने वापस लौटाए तीलू रौतेली पुरस्कार, कहा-बिन रोजगार कैसा सम्मान?
तीलू रौतेली पुरस्कारों का ऐलान होने के साथ ही कई तरह के विवाद सामने आने लगे थे। अब इस पुरस्कार से सम्मानित दो महिलाओं ने सरकार को अपना पुरस्कार वापस लौटा दिया है।
Aug 11 2021 4:13PM, Writer:Komal Negi
उत्तराखंड की वीरांगना तीलू रौतेली की जयंती पर राज्य सरकार अलग-अलग क्षेत्रों में उल्लेखनीय योगदान देने वाली महिलाओं को सम्मानित करती है। इस बार भी वीरांगना तीलू रौतेली की जयंती पर आठ अगस्त को प्रदेश सरकार ने राज्य की 22 वीरांगनाओं को तीलू रौतेली राज्य स्तरीय पुरस्कार दिया। आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को भी पुरस्कृत किया गया। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की ओर से महिलाओं को 31 हजार की धनराशि पुरस्कार स्वरूप दी गई, लेकिन इस बार इन पुरस्कारों का ऐलान होने के साथ ही कई तरह के विवाद होने लगे थे। अब पुरस्कार से सम्मानित दो महिलाओं ने सरकार को अपना पुरस्कार वापस लौटा दिया है। इन महिलाओं ने अपने अवॉर्ड क्यों वापस किए ये भी बताएंगे, पर पहले पुरस्कार लौटाने वालों के नाम जान लेते हैं। इनमें पहला नाम विकासनगर की गीता मौर्य का है, जबकि दूसरी महिला सहसपुर की रहने वाली श्यामा देवी हैं। ये महिलाएं स्वयं सहायता समूह चलाने का काम कर रही हैं, और अपने शानदार काम के लिए जानी जाती हैं। अब पुरस्कार वापस करने की वजह भी बताते हैं। पुरस्कार लौटाने वाली दोनों महिलाओं का कहना है कि एक तरफ सरकार महिलाओं के उत्थान की बात कह रही है तो वहीं दूसरी तरफ उनका रोजगार छीना जा रहा है। आगे पढ़िए
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दरअसल महिलाओं की नाराजगी टेक होम राशन योजना में हुए बदलाव को लेकर है। हरीश रावत की सरकार में शुरु की गई टेक होम राशन योजना को महिला सशक्तिकरण एवं बाल विकास विभाग के माध्यम से संचालित किया जाता है। इसके तहत आंगनबाड़ी केंद्रों से कई योजना के तहत पात्रों को राशन बांटा जाता है। इस राशन की सप्लाई विभिन्न स्वयं सहायता समूहों को माध्यम से कराई जाती है, अब सरकार ने टेक होम राशन की योजना को ठेके पर देने का फैसला किया है, बस इसी को लेकर महिला स्वयं सहायता समूहों में नाराजगी है। पुरस्कार वापस लौटाने वाली महिलाओं का कहना है कि योजनाओं को ठेके पर देने से उत्तराखंड में चलने वाले सभी स्वयं सहायता समूह का अस्तित्व खतरे में पड़ जाएगा। सोमवार देर शाम गीता मौर्य और श्यामा देवी ने मुख्यमंत्री से मुलाकात कर अपना सम्मान लौटा दिया। पूर्व सीएम हरीश रावत ने भी योजना को निजी हाथों में सौंपने पर नाराजगी जताई है। उन्होंने इसकी टेंडर प्रक्रिया को रद्द करने की मांग भी की।