उत्तराखंड: पूर्व CM त्रिवेंद्र ने दिखाए तेवर, चुनाव से पहले BJP में बड़ी हलचल
भाजपा पर ही तंज कस रहे हैं पूर्व सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत, भाजपा हाईकमान से मांग रहे हैं मुख्यमंत्री पद से हटाए जाने का जवाब
Aug 14 2021 9:19PM, Writer:अनुष्का ढौंडियाल
उत्तराखंड की मुख्यमंत्री की कुर्सी पर जो भी आता है ज्यादा समय नहीं टिक पाता। इतिहास गवाह है कि जो भी उत्तराखंड के मुख्यमंत्री की कुर्सी पर विराजमान हुआ है उसको शासनकाल खत्म होने से पहले ही कुर्सी से हाथ धोना पड़ा। रावत जी के साथ भी यही हुआ। अपनी ढीली ढाली सरकार और कार्यप्रणाली को लेकर चर्चा में रहे उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह को अप्रैल में भाजपा हाईकमान ने मुख्यमंत्री पद से हटा दिया था और उनकी जगह यह कमान पूर्व मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत के हाथों में सौंप दी थी। वे आज भी मुख्यमंत्री के पद से हटाए जाने के निर्णय से खुश नजर नहीं आ रहे हैं। हालांकि तब त्रिवेंद्र सिंह रावत ने इस निर्णय पर चुप्पी साध ली थी और खुशी-खुशी तीरथ सिंह रावत को उत्तराखंड का मुख्यमंत्री मुख्यमंत्री बनने की शुभकामनाएं भी दी थीं। मगर अब वे अपनी ही पार्टी के खिलाफ बोलते नजर आ रहे हैं और इसी के साथ सियासी गलियारों में एक बार फिर से चर्चा का विषय बन चुके हैं। त्रिवेंद्र अपनी ही पार्टी के हाईकमान पर तमाम सवाल उठा रहे हैं और भाजपा हाईकमान से उन को पद से हटाने का कारण मांग रहे हैं। त्रिवेंद्र रावत का कहना है कि सीएम के पद से हटाने का कारण उनको अभी तक नहीं दिया गया है जो कि सरासर गलत है। त्रिवेंद्र का कहना है कि जब भी किसी को सीएम के पद से हटाया जाता है तो कारण बताया जाता है और तमाम सवाल खड़े होना भी लाजमी है। यह पार्टी की जिम्मेदारी है कि इन सवालों के जवाब दे। दरअसल 9 अप्रैल को मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत को मुख्यमंत्री पद से हटा दिया गया था। यह फैसला भाजपा हाईकमान ने बेहद ही अचानक लिया और मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत की जगह उनकी कुर्सी पूर्व मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत को सौंपी गई। हालांकि तीरथ सिंह रावत जी 3 महीने भी कुर्सी पर टिक नहीं पाए मगर त्रिवेंद्र सिंह रावत पद से हटाए जाने को लेकर भाजपा से नाराज चल रहे हैं और उन्होंने कहा है कि अगर किसी को सीएम पद से हटाया गया है तो यह पार्टी की ज़िम्मेदारी है कि उनको सवालों के जवाब दे।
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जब त्रिवेंद्र सिंह रावत को मुख्यमंत्री की कुर्सी से हटाया गया उस समय उन्होंने अपनी नाराजगी व्यक्त नहीं की मगर अब वे लगातार भाजपा पर कटाक्ष कर रहे हैं और पार्टी से जवाब मांग रहे हैं जिस वजह से सियासी गलियारों में एक बार फिर से विपक्षी दलों को चुटकियां बजाने का अवसर मिल चुका है। त्रिवेंद्र सिंह रावत का कहना है कि पार्टी कार्यकर्ताओं को पार्टी के फैसले का सम्मान तो करना चाहिए मगर अगर इस पर सवाल खड़े हों तो उनसे मुंह फेरना सरासर गलत है और इसका जवाब देने की जिम्मेदारी पार्टी लीडरशिप की है। त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा की शपथ लेते ही उन्होंने कहा था कि वह उत्तराखंड में भ्रष्टाचार को दूर कर देंगे और उन्होंने केवल यह कहा ही नहीं बल्कि करके भी दिखाया। इसके बावजूद भी उनको सीएम के पद से हटा दिया गया। उत्तराखंड के पूर्व सीएम और अमित शाह के करीब माने जाने वाले त्रिवेंद्र सिंह रावत द्वारा भारतीय जनता पार्टी पर तमाम सवाल के बीच में भाजपा को यह भूलना नहीं चाहिए कि आगामी चुनाव सर पर हैं और अपनी ही पार्टी के नेताओं द्वारा कटाक्ष करना भाजपा को आगामी चुनावों में भारी पड़ सकता है और विपक्षी दल भी मौके का पूरा फायदा उठा सकता है। ऐसे में अब बड़ा सवाल ये है कि क्या भाजपा पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह को उनको मुख्यमंत्री पद से हटाने का जवाब देगी या फिर यह पूरा मुद्दा एक अलग मोड़ लेगा। इन तमाम सवालों के जवाब तो भविष्य के गर्भ में छुपे हुए हैं मगर यह तो तय है कि उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के तीखे सवाल और कटाक्ष भाजपा को आगामी चुनावों में एक बड़ी मुसीबत में डाल सकते हैं।