उत्तराखंड: कोरोना के बाद नई बीमारी का डर, बिझौली गांव में मिला पहला केस..स्वास्थ्य विभाग अलर्ट
बच्चे में दिमागी बुखार की पुष्टि होते ही स्वास्थ्य विभाग में हड़कंप मच गया। स्वास्थ्य विभाग की टीम गांव पहुंच गई है। घर-घर जाकर सर्वे किया जा रहा है।
Sep 8 2021 11:27AM, Writer:Komal Negi
कोरोना की तीसरी लहर के खतरे के बीच उत्तराखंड में दिमागी बुखार ने दस्तक दी है। हरिद्वार में एक बच्चे में दिमागी बुखार की पुष्टि हुई। बच्चा रुड़की से सटे बिझौली गांव का रहने वाला है। कुछ दिन पहले उसकी तबीयत बिगड़ गई थी। तब बच्चे के सैंपल जांच के लिए भेजे गए, पहली रिपोर्ट में दिमागी बुखार होने की पुष्टि हुई। पहली रिपोर्ट के बाद स्वास्थ्य विभाग के आला अधिकारियों का बिझौली में जमावड़ा लग गया था। अब बच्चे की दूसरी रिपोर्ट भी आ गई है, उसमें भी बच्चे को दिमागी बुखार होने की बात पता चली है। फिलहाल स्वास्थ्य विभाग की टीम गांव पहुंच गई है। घर-घर जाकर सर्वे किया जा रहा है। स्वास्थ्य विभाग की टीम ने गांव में सर्वे शुरु कर इस प्रकार के रोगियों की खोजबीन शुरू कर दी है। साथ ही पूरे क्षेत्र में सैनेटाइजर का छिड़काव भी किया जा रहा है। नारसन सामुदायिक केंद्र के प्रभारी डॉ. विवेक तिवारी ने बताया कि देहरादून में बच्चे की रैपिड जांच होने पर दिमागी बुखार की शिकायत थी।
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उन्होंने बताया कि इसकी पुष्टि के लिए बच्चे के खून का सैंपल हल्द्वानी भेजा गया था। हल्द्वानी से आयी बच्चे की रिपोर्ट में दिमागी बुखार होने की पुष्टि हो गयी है। हरिद्वार में दिमागी बुखार का मामला सामने आने के बाद स्वास्थ्य विभाग में हड़कंप मचा है। दिमागी बुखार बेहद खतरनाक बीमारी है। चार साल पहले यूपी के गोरखपुर में दिमागी बुखार के चलते 70 मासूमों की मौत हो गई थी। बच्चों को दिमागी बुखार से बचाने के लिए टीकाकरण करवाना जरूरी है। इन्सेफेलाइटिस या जापानी बुखार के 250 मामलों में से 1 मामले में तबीयत एकदम से बिगड़ जाती है। ऐसे मामलों में मरीज को दौरा पड़ सकता है और वो कोमा में जा सकता है। इस बीमारी के 30 प्रतिशत मामलों में मरीज की जान चली जाती है। इससे बचाव के लिए गंदे पानी के संपर्क में आने से बचें। मच्छरों से बचाव के लिए घर के आसपास पानी जमा न होने दें।