image: Neo metro to run in dehradun

देहरादून में दौड़ेगी नियो मेट्रो, जानिए इस हाईटेक प्रोजक्ट की बड़ी बातें

मेट्रो नियो की लागत परंपरागत मेट्रो की निर्माण लागत से 40 फीसदी तक कम आती है। साथ ही इसमें स्टेशन के लिए ज्यादा बड़ी जगह की जरूरत भी नहीं पड़ती।
Sep 16 2021 5:17PM, Writer:Komal Negi

देश के कम आबादी वाले शहरों में मेट्रो नियो ट्रेन चलाने की तैयारी है। सबकुछ ठीक रहा तो जल्द ही राजधानी देहरादून के लोग मेट्रो नियो में सफर कर पाएंगे। पहले चरण में देहरादून में मेट्रो नियो की शुरुआत की प्लानिंग है। उत्तराखंड मेट्रो रेल कॉरपोरेशन ने इसका प्रस्ताव बनाकर शासन का भेज दिया है। यह प्रस्ताव जल्द ही कैबिनेट में लाया जाएगा। इसके बाद आगे की प्रक्रिया शुरू होगी। आपको बता दें कि साल 2017 में सरकार ने देहरादून, ऋषिकेश और हरिद्वार को मेट्रोपॉलिटन क्षेत्र घोषित किया। उसके बाद देहरादून में दो कॉरिडोर (आईएसबीटी से राजपुर और एफआरआई से रायपुर) में मेट्रो चलाने के लिए सर्वे किया गया। अब इन्हीं दो रूटों पर मेट्रो नियो चलाने की योजना है।

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इसके लिए उत्तराखंड मेट्रो रेल कॉरपोरेशन (यूकेएमआरसी) ने एक प्रस्ताव केंद्र को भेजा था। यूकेएमआरसी की बोर्ड बैठक में देहरादून में मेट्रो नियो चलाने के प्रस्ताव पर मुहर लग गई थी। अब प्रस्ताव तैयार कर शासन को भेज दिया गया है। जल्द ही ये कैबिनेट में आएगा, जिसके बाद आगे का प्रोसेस शुरू हो जाएगा। हरिद्वार में भी मेट्रो नियो चलाने की तैयारी है। इसके संचालन को लेकर यहां टेंडर भी जारी हुआ था, लेकिन कोई भी कंपनी सामने नहीं आई। अब दोबारा टेंडर जारी किया जाएगा। उत्तराखंड मेट्रो रेल कॉरपोरेशन के एमडी जितेंद्र त्यागी ने बताया कि बोर्ड बैठक से पास होने के बाद हमने देहरादून के दो रूटों पर मेट्रो नियो के संचालन का प्रस्ताव शासन को भेज दिया है। यह प्रस्ताव जल्द ही कैबिनेट बैठक में रखा जाएगा।

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यहां आपको मेट्रो नियो की खूबियां भी बताते हैं। मेट्रो नियो सिस्टम रेल गाइडेड सिस्टम है। इसके कोच स्टील या एल्युमिनियम के बने होंगे। इसमें इतना पावर बैकअप होगा कि बिजली जाने पर भी ट्रेन 20 किमी चल सकेगी। इसमें ऑटोमैटिक ट्रेन प्रोटेक्शन सिस्टम होगा। टिकट का सिस्टम क्यू आर कोड या सामान्य मोबिलिटी कार्ड से होगा। इसके ट्रैक की चौड़ाई आठ मीटर होगी। जहां ट्रेन रुकेगी, वहां 1.1 मीटर का साइड प्लेटफॉर्म होगा। आईसलैंड प्लेटफॉर्म चार मीटर चौड़ाई का होगा। एलिवेटेड मेट्रो को बनाने में प्रति किलोमीटर का खर्च 300-350 करोड़ रुपये आता है। अंडरग्राउंड में यही लागत 600-800 करोड़ रुपये तक पहुंच जाती है। जबकि मेट्रो नियो या मेट्रो लाइट के लिए 200 करोड़ तक का ही खर्च आता है। इस मेट्रो की लागत परंपरागत मेट्रो की निर्माण लागत से 40 फीसदी तक कम आती है। साथ ही इसमें स्टेशन के लिए ज्यादा बड़ी जगह की जरूरत भी नहीं पड़ती। यह सड़क के सरफेस या एलिवेटेड कॉरिडोर पर चल सकती है। क्योंकि इसमें लागत कम आएगी, इसलिए यात्रियों के लिए सफर सुविधाजनक होने के साथ ही किफायती भी होगा।


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