लोकतंत्र के महाकुंभ में 628 प्रत्याशियों की प्रतिष्ठा दांव पर
Feb 15 2017 5:56PM, Writer:कोमल नेगी
उत्तराखंड में लोकतंत्र के महाकुंभ का आगाज हो चुका है। १५ फरवरी को हो रहे चुनाव में सूबे के ६२८ प्रत्याशियों की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है। प्रदेश में 34 राजनीतिक दलों के कुल 628 उम्मीदवार चुनाव मैदान में हैं। इसमें छह राष्ट्रीय दल, चार क्षेत्रीय दल और 24 गैर मान्यता प्राप्त दल हैं। 258 निर्दलीय प्रत्याशी भी ताल ठोक रहे हैं। सूबे की कुल 70 विधानसभा सीटों (कर्णप्रयाग समेत) के लिए 39,33564 पुरुष और 35,78,995 महिलाओं समेत कुल 75,12,559 वोटर बुधवार के अपने मताधिकार का प्रयोग करेंगे।
चुनाव आयोग ने किए खास इंतजाम
सूबे में शांतिपूर्वक मतदान के लिए निर्वाचन आयोग ने खास व्यवस्थाएं की हैं। चुनाव के लिए राज्यभर में 10854 पोलिंग बूथ बनाए गए हैं। सबसे ज्यादा 1725 मतदेय स्थल देहरादून और सबसे कम 312 रुद्रप्रयाग जिले में बनाए गए हैं। चुनाव के लिए 10854 सीयू ईवीएम और 11240 बीयू ईवीएम लगाई गई है। इसके साथ ही कुल 4,106 सीयू ईवीएम और 4235 बीयू ईवीएम रिजर्व रखी गई है। चलिए अब आपको चुनाव मैदान में ताल ठोक रहे प्रत्याशियों का पार्टीवार ब्योरा देते हैं।
चुनाव मैदान में उतरे प्रत्याशियों का ब्योरा (कर्णप्रयाग छोड़कर)
पार्टी - कुल प्रत्याशी - करोड़पति - आपराधिक मामले
भाजपा - 69 - 47 (69 फीसदी) - 19 (27 फीसदी)
कांग्रेस - 69 - 51 (74 फीसदी) - 17 (25 फीसदी)
बसपा - 67 - 19 (30 फीसदी) - 07 (10 फीसदी)
उक्रांद - 54 - 13 (24 फीसदी) - 04 (07 फीसदी)
सपा - 20 - 04 (20 फीसदी) - 02 (10 फीसदी)
सीपीआई (एम) 05 - 01 (20 फीसदी) - 01 (17 फीसदी)
आरएलडी - 06 - 01 (17 फीसदी) - 01 (17 फीसदी)
सीपीआई - 04 - - - 01 (25 फीसदी)
अन्य - 76 - 08 (09 फीसदी) - 07 (09 फीसदी)
निर्दलीय - 258 - 53 (21 फीसदी) - 32 (12 फीसदी)
इनकी प्रतिष्ठा लगी है दांव पर
चलिए अब आपको बतातें हैं कि उत्तराखंड विधानसभा चुनाव में किन-किन दिग्गजों की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है। इन दिग्गजों में सूबे के सीएम हरीश रावत, कैबिनेट मंत्री इंदिरा हृदयेश, पूर्व सीएम विजय बहुगुणा, पूर्व केंद्रीय राज्य मंत्री सतपाल महाराज और कांग्रेस छोड़कर बीजेपी का हिस्सा बने यशपाल आर्य शामिल हैं।
सीएम हरीश रावत
सीएम हरीश खुद शाह मात के खेल में फंसे हैं। खुद को खांटी पहाड़ी कहने वाले हरीश रावत मैदानी क्षेत्र की दो विधानसभा सीटों से चुनाव लड़ रहे है। हरीश रावत के राजनीतिक कौशल से कांग्रेस मुकाबले में तो है लेकिन सत्ता वापसी की चुनौती के अलावा अपने गढ़ कुमाऊं में खुद को साबित करने की परीक्षा में भी पासिंग मार्क्स से काम नहीं चलेगा।
इंदिरा हृदयेश
कैबिनेट मंत्री इंदिरा हृदेश कांग्रेस ही नहीं राज्य में अकेली महिला राजनीतिज्ञ है जो अपने दम पर सियासत करती है। चुनाव जीती और संख्याबल बहुमत की कसौटी पर खरा उतर तो वह मुख्यमंत्री के पद की दावेदार होंगी और चुनाव हार गयी तो यह उनका आखिरी चुनावी रण साबित होगा।
प्रीतम सिंह
जनजाति बाहुल्य सीट चकराता प्रीतम सिंह की परंपरागत सीट मानी जाती है। वह पिछले दो दशक से लगातार विधायक है। प्रीतम सिंह के सामने मधु चौहान भाजपा के टिकट पर मैदान में है। चकराता क्षेत्र में मंदिर में दलितों को प्रवेश करने से रोकने का मामला उन्हें नुकसान पहुंचा सकता है।
विजय बहुगुणा
पूर्व सीएम विजय बहुगुणा के साथ भाजपा में आये नौ क्षत्रपों को जिताना उनकी जवाबदेही में शामिल हो गया है। बहुगुणा पर अपनी राजनीतिक विरासत को सितारगंज से बेटे सौरभ बहुगुणा की जीत दिलवा कर आगे बढ़ाने का दबाव भी है।
सतपाल महाराज
केंद्र की राजनीति छोड़ प्रदेश की सियासत में कूदे पूर्व केंद्रीय राज्य मंत्री सतपाल महाराज की भूमिका इस चुनाव से तय होगी। सीएम की रेस में माने जा रहे महाराज को चौबट्टाखाल से जीतने का दबाव है।
यशपाल आर्य
कांग्रेस छोड़ भाजपा में आए कैबिनेट मंत्री यशपाल के परिवार की साख इस चुनाव से जुड़ी है। उनके बेटे संजीव आर्य भी रानीखेत से प्रत्याशी हैं, अपने साथ बेटे को जीता कर आर्य अपना कद बढ़ा कर पाते हैं या नहीं, यह 11 मार्च को तय होगा।