image: Sultana khatoon and sushma uniyal donated kidney in dehradun

देहरादून: सुल्ताना खातून और सुषमा उनियाल ने एक-दूसरे के पति को दी किडनी, बच गई जान

एक हिंदू और एक मुस्लिम महिला ने धर्म की दीवार तोड़कर एक-दूसरे के पतियों को अपनी किडनियां दान देकर नई जिंदगी दी-
Sep 23 2021 12:52PM, Writer:साक्षी बड़थ्वाल

जहां देश में आज भी धर्म और जातिवाद का जहर घोलने में कुछ लोग पीछे नहीं हटते, लेकिन कहते हैं ना मानवता किसी सीमा के बंधन में नहीं बंधती, इस बात का एक बार फिर प्रमाण मिला है. जहाँ एक हिंदू और एक मुस्लिम महिला ने धर्म की दीवार तोड़कर एक-दूसरे के पतियों को अपनी किडनियां दान देकर नई जिंदगी दी है, दो जिंदगियां तो बच ही गईं साथ ही सांप्रदायिक सौहार्द की मिसाल भी कायम हुई. किडनी के जरिए ही सही लेकिन सांप्रदायिक सद्भाव का यह मामला हमें इतना बता गया कि दिल को धड़कने के लिए मजहब की बनाई कोई मशीन नही होती. भगवान के बनाए शरीर के पूर्जे तो सभी इंसानों में एक ही हैं, जिसे दुनिया में कई जगहों पर मजहबी नफरत का रंग देकर खत्म कर दिया जाता है. बता दें की किडनी ट्रांसप्लांट हिमालयन अस्पताल में हुआ जिसके बाद अब चारों पूरी तरह से स्वस्थ हैं. खास बात यह कि दोनों दंपती एक-दूसरे को जानते भी नहीं थे.

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देहरादून के डोईवाला निवासी अशरफ अली (51) दोनों किडनी खराब होने के कारण बीते दो साल से हेमोडायलिसिस पर थे. उनके पास किडनी टांसप्लांट ही एकमात्र विकल्प था. अशरफ की पत्नी सुल्ताना खातून अपनी किडनी देने के लिए तैयार थी लेकिन ब्लड ग्रुप मैच नहीं हो पाया. परिवार में समान ब्लड ग्रुप कोई करीबी रिश्तेदार भी नहीं था, वहीँ इसी बीमारी से पीड़ित एक अन्य मरीज पौड़ी के कोटद्वार निवासी विकास उनियाल (50) की भी दोनों किडनी खराब हो चुकी थी. और विकास की पत्नी सुषमा के साथ भी ऐसे ही हालात थे विकास की पत्नी सुषमा उनियाल का ब्लड ग्रुप भी मैच नहीं होने के कारण वह अपनी किडनी नहीं दे सकती थीं. दोनों परिवारों को किडनी देने वाला नहीं मिल रहा था. दोनों की जान खतरे में थी. दोनों पुरुषों की पत्नियों का ब्लड ग्रुप अपने पति से मिल नहीं रहा था, जिस वजह से वह किडनी नहीं दे सकती थीं. ऐसे में संकट और गहरा गया था, और बार-बार हेमोडायलिसिस की प्रक्रिया इनकी ताकत पर भी भारी पड़ रही थी. लेकिन, लड़ने की प्रबल इच्छाशक्ति ने इन्हेंं आगे बढ़ाया.

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हिमालयन अस्पताल के इंटरवेंशनल नेफ्रोलोजिस्ट डॉ. शादाब अहमद ने एक बयान में कहा कि हमने दोनों परिवारों की अलग से मीटिंग बुलवाई. और जांच में पता चला कि सुषमा का ब्लड ग्रुप अशरफ और सुल्ताना का विकास से मैच हो रहा है. इसमें हमने उनसे कहा कि अगर महिलाएं अपनी किडनी दूसरे के पति को दे देती हैं, तो दोनों की जान बच सकती है. अपने पतियों की जान बचाने के लिए सुषमा और सुल्ताना बिना देर किए एक-दूसरे के पति को किडनी देने का फैसला किया, इसके बाद इस स्वैप ट्रांसप्लांट को करने के लिए यूरोलाजी व नेफ्रोलाजी की एक संयुक्त टीम बनाई गई किडनी वहीँ ट्रांसप्लांट सर्जन डॉ. किम जे मामिन के अनुसार ट्रांसप्लांट के लिए उत्तराखंड राज्य प्राधिकरण समिति से अनुमति ली गई, जिसके बाद सर्जरी के दौरान दो अलग-अलग आपरेटिंग रूम में सुल्ताना व सुषमा पर अलग-अलग डोनर नेफरेक्टोमी की गई. फिर सुल्ताना की किडनी विकास उनियाल और सुषमा की अशरफ अली में ट्रांसप्लांट कर दी गईं. और अब चारों की हालत सामान्य है.


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