image: Uttarakhand vidhayak nidhi report

कैसे बढ़ेगा उत्तराखंड? विधायकों की जेब में फंस गया विकास का फंड, रिपोर्ट में हुआ खुलासा

विधायक निधि खर्च करने में उत्तराखंड के कई विधायक फिसड्डी, जानिए कौन सा विधायक अव्वल और कौन है निधि खर्च करने में सबसे ज़्यादा कंजूस
Oct 25 2021 7:15PM, Writer:अनुष्का ढौंडियाल

विकास और उत्तराखंड का छत्तीस का आंकड़ा है। चुनाव आते ही तमाम विधायक विकास की बात करने लग जाते हैं मगर असलियत में दूर-दूर तक उत्तराखंड में विकास नहीं पहुंच पाया है। विधायक अपनी निधि खर्च करने में कंजूसी दिखा रहे हैं। प्रदेश में किसी भी विधायक ने अभी तक अपनी पूरी विधायक निधि खर्च नहीं की है। 12 विधायकों की निधि 70 फीसद से भी कम खर्च हुई है। आपको बता दें कि 2017 से सितंबर 2021 तक उत्तराखंड के विधायकों को कुल 1256.50 करोड़ निधि उपलब्ध हुई। इसमें से सितंबर 2021 तक केवल 963.40 करोड़ रुपये ही खर्च हो सके हैं। अभी भी 293.10 करोड़ निधि खर्च होनी शेष है। सबसे कम विधायक निधि खर्च करने में केदारनाथ विधायक मनोज रावत का नाम शामिल है। वहीं सर्वाधिक 90 फीसद निधि खर्च वाले नैनीताल के पूर्व विधायक संजीव आर्य हैं।

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किसी भी विधानसभा क्षेत्र के विधायक को सरकार द्वारा एक निश्चित धनराशि दी जाती है। यह धनराशि अपने विधानसभा क्षेत्र में विकास कार्यो के लिए दी जाती है। विधायक निधि का अर्थ होता है कि अपने विधानसभा क्षेत्र में विकास कार्यो के लिए दिया जाने वाला फंड। मगर विकास पर पैसा खर्च करने से पहले यहां के विधायक सौ बार सोचते हैं। शायद यही वजह से है कि बड़े-बड़े मंत्री भी अबतक विधायक निधि खर्च नहीं कर पाए हैं। 60 फीसद निधि खर्च वाले विधायक धन सिंह रावत हैं। 61 से 65 फीसद खर्च वाले विधायकों में महेश नेगी, सुरेन्द्र सिंह नेगी, सहदेव पुंडीर शामिल हैं। 66 से 70 फीसद वालों में प्रीतम सिंह, मगन लाल शाह, मदन सिंह कौशिक, मुन्ना सिंह चौहान, करन माहरा, सीएम पुष्कर सिंह धामी, विनोद चमोली एवं महेंद्र भट्ट शामिल हैं। 71 से 75 फीसद खर्च करने वाले विधायकों में प्रेमचंद्र, यशपाल आर्य, सुरेन्द्र सिंह जीना, राजकुमार ठुकराल, केदार सिंह रावत, खजान दास, हरवंश कपूर, गोविंद सिंह कुंजवाल, त्रिवेंद्र सिंह रावत, सतपाल महाराज, राजकुमार, विजय सिंह पंवार, सुबोध उनियाल शामिल हैं।

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76 से 80 प्रतिशत खर्च वाले विधायकों में राजेश शुक्ला, हरीश सिंह धामी, हरभजन सिंह चीमा, हरक सिंह, उमेश शर्मा, दीवान सिंह बिष्ट, पूरन सिंह फत्र्याल, भारत सिंह चौधरी, इंदिरा हृदयेश, अरविंद पांडेय, आदेश सिंह चौहान (जसपुर), रेखा आर्य, देशराज कर्णवाल, बलवंत सिंह, रितु खंडूरी, सुरेश राठौर, चंद्रा पंत, ममता राकेश, शक्तिलाल शाह, रघुराम चौहान, कैलाश गहतोड़ी, चंदन राम दास शामिल हैं। 81 से 85 फीसद खर्च वाले विधायकों में दिलीप सिंह रावत, गणेश जोशी, यतीश्वरानन्द, बिशन सिंह चुफाल, प्रेम सिंह राणा, मुकेश कोली, जीआइजी मैनन, मीना गंगोला, काजी निजामुद्दीन, प्रीतम सिंह पंवार, संजय गुप्ता, विनोद भंडारी, सौरभ बहुगुणा, प्रदीप बत्रा शामिल हैं। वहीं, कुंवर प्रणव सिंह चैम्पियन, राम सिंह कैड़ा, फुरकान अहमद, आदेश चौहान (रानीपुर), बंशीधर भगत, धन सिंह नेगी, नवीन चन्द्र दुम्का, गोपाल सिंह रावत, व संजीव आर्य ने 86 से 90 फीसद निधि खर्च की है। इससे यह तो साबित हो गया है कि कि सभी विधायकों को बस अपनी जेब भरने से मतलब है। डगमगाती हुई व्यवस्था से किसी को भी लेना-देना नहीं है। यही कारण है कि उत्तराखंड का कोई भी विधायक या मंत्री निधि खर्च कर ही नहीं पाया है।


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