उत्तराखंड: पूर्व CM त्रिवेन्द्र का बड़ा फैसला पलट सकते हैं CM धामी, मिल रहे हैं संकेत
तीर्थ पुरोहितों के विरोध को देखते हुए डैमेज कंट्रोल की तैयारी शुरू हो गई है। देवस्थानम बोर्ड (Uttarakhand Devasthanam Board) को लेकर राज्य सरकार जल्द ही बड़ा फैसला लेने वाली है। आगे पढ़िए पूरी खबर-
Nov 3 2021 5:02PM, Writer:Komal Negi
5 नवंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी केदारनाथ धाम के दर्शन के लिए आएंगे। सरकार पीएम के दौरे की तैयारी में जुटी है, लेकिन दौरे से ठीक पहले एक नई मुश्किल आन खड़ी हुई है। तीर्थ पुरोहित देवस्थानम बोर्ड (Uttarakhand Devasthanam Board) भंग करने की मांग पर अड़ गए हैं। इसे लेकर लगातार आंदोलन कर रहे हैं। देवस्थानम बोर्ड को लेकर राजनीति भी शुरू हो गई है। आप के सीएम कैंडीडेट कर्नल अजय कोठियाल ने केदारनाथ पहुंच कर तीर्थ पुरोहितों को समर्थन देने की घोषणा की। इस बीच सीएम पुष्कर सिंह धामी ने हाल में देवस्थानम बोर्ड को रद्द करने के संकेत दिए हैं। अपने हालिया बयान में मुख्यमंत्री ने कहा कि देवस्थानम बोर्ड के संबंध में राज्य सरकार केंद्र सरकार से विचार विमर्श रही है। जल्द ही उचित निर्णय किया जाएगा। सीएम ने कहा कि सरकार जनभावनाओं का सम्मान करने वाली सरकार है। तीर्थों के पंडा, पुरोहित और पुजारियों के मान-सम्मान को कोई ठेस नहीं पहुंचाई जाएगी।
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लिया जा सकता है बड़ा फैसला
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मंगलवार को बदरीनाथ धाम से जुड़े श्री बदरीनाथ डिमरी धार्मिक केंद्रीय पंचायत के प्रतिनिधियों ने सचिवालय पहुंचकर मुख्यमंत्री से मुलाकात की। अपनी मांगों को लेकर ज्ञापन भी दिया। इस दौरान मुख्यमंत्री ने देवस्थानम बोर्ड को लेकर गठित उच्च स्तरीय समिति के अध्यक्ष मनोहर कांत ध्यानी से फोन पर बात की। उन्हें पुरोहितों-पुजारियों की भावना के बारे में बताया। यही नहीं बुधवार को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी कैबिनेट मंत्री डॉ. हरक सिंह रावत व सुबोध उनियाल के साथ केदारनाथ धाम पहुंचे।
चल रहा है विरोध
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बाबा के दर्शन के बाद उन्होंने तीर्थ पुरोहितों से भी बातचीत की। इस तरह तीर्थ पुरोहितों के विरोध को देखते हुए डैमेज कंट्रोल की तैयारी शुरू हो गई है। पीएम नरेंद्र मोदी के दौरे को देखते हुए सरकार अतिरिक्त सतर्कता बरत रही है। वहीं तीर्थ पुरोहितों का कहना है कि वे सीएम से लेकर पीएम तक अपनी बात रखना चाहते हैं। सरकार देवस्थानम बोर्ड (Uttarakhand Devasthanam Board) को लेकर कोई निर्णय नहीं ले पाई है, जिसके कारण वे उग्र आंदोलन के लिए बाध्य हैं।