उत्तराखंड: बाबा नीम करौली के बड़े पुत्र का निधन, भक्तों में शोक की लहर
नीम करौली महाराज (Baba Neem Karoli Aneg Singh) के नजदीकी रहे गिरीश तिवारी बताते हैं कि अनेग सिंह का कैंची धाम से विशेष लगाव था और वे कई बार कैंची धाम आया जाया करते थे
Nov 23 2021 11:37AM, Writer:अनुष्का ढौंडियाल
नैनीताल से एक बुरी खबर सामने आ रही है। नैनीताल के विश्व प्रसिद्ध कैंची धाम के संस्थापक नीम करौली बाबा के बड़े बेटे अनेग सिंह शर्मा (Baba Neem Karoli Aneg Singh) का बीते रविवार भोपाल में निधन हो गया है। उनके निधन के बाद से ही उनके भक्तों में शोक की लहर छा गई है। कैंची धाम के सदस्य गिरीश तिवारी ने बताया कि अनेग सिंह शर्मा लंबे समय से बीमार चल रहे थे। वे 95 साल के थे। तबियत बिगड़ने पर उनको अस्पताल ले जाया गया जहां उपचार के दौरान उनका निधन गया। ऐसे में उनका विधिविधान से भोपाल में अंतिम संस्कार किया गया। अनेग शर्मा के निधन से उनके भक्तों में शोक की लहर छा गई है। इससे पहले 28 अप्रैल 2021 को बाबा नीम करौली के छोटे बेटे नारायण शर्मा के छोटे बेटे नारायण शर्मा का भी निधन हो गया था। अब बाबा के परिवार की एक ही सदस्य यानी उनकी बेटी गिरजा बची हैं जो आगरा में रहती हैं। नीम करौली महाराज के नजदीकी और धाम के सदस्य गिरीश तिवारी बताते हैं कि अनेग सिंह (Baba Neem Karoli Aneg Singh) का कैंची धाम से विशेष लगाव था और अनेग कई बार कैंची धाम आया जाया करते थे। बीते सोमवार शाम को सुहास नगर स्थित श्मशान घाट में अनेग सिंह का पूरे विधि विधान से अंतिम संस्कार किया गया।
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कहानी- Story of Neem Karoli kainchi dham
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बाबा नीम करौली का जन्म सन 1900 में फर्रुखाबाद में हुआ था। उनका असली नाम लक्ष्मी नारायण शर्मा था। 11 साल की छोटी सी उम्र में ही उनका विवाह हो गया था। उनके दो पुत्र और एक पुत्री हुईं। विवाह के कुछ वर्ष बाद करौरी महाराज ने गृह त्याग कर संन्यासी बनाने का निर्णय कर लिया था। माना जाता है कि वर्षों के तप के बाद नीम करौली बाबा को सिद्धियां प्राप्त हुईं थीं।
Baba Neem Karoli कैसे बना kainchi dham
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कहा जाता है कि नीम करौली महाराज हनुमान जी के बहुत बड़े भक्त थे। भक्त भी उन्हें साक्षात हनुमान जी का अवतार मानते थे। उन्होंने 1964 में 15 जून के दिन ही भवाली (नैनीताल) में कैंची क्षेत्र में स्थित अपने आश्रम में श्री हनुमान जी की मूर्ति स्थापित की थी। आगे चलकर बाबा के सेवा कार्यों के चलते ये विश्व प्रसिद्ध तीर्थ कैंची धाम बना।