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उत्तराखंड का महावीर: 11 दिन में मार डाले थे 10 आतंकी, दोस्तों को बचाने के लिए दी थी जान

वीरता शौर्य और पराक्रम की जब भी बात सामने आती है तो उत्तराखंड शहीद Commando Mohan Nath Goswami का नाम सामने आता है।
Nov 24 2021 6:22PM, Writer:राज्य समीक्षा डेस्क

उत्तराखंड के वीर सपूतों ने हर बार जान पर खेलकर देश की रक्षा की है। जब हम घर में चौन की नींद सो रहे होते हैं, तब ये जवान सरहदों की रक्षा कर रहे होते हैं। ऐसे ही एक वीर सपूत थे शहीद Commando Mohan Nath Goswami ..शहीद मोहन नाथ गोस्वामी नैनीताल जिले के बिन्दुखता के रहने वाले थे। आतंकियों से मुठभेड़ में शहीद हुए स्पेशल फोर्स के मोहन नाथ गोस्वामी को शांतिकाल में देश के सर्वोच्च वीरता पुरस्कार अशोक चक्र से नवाजा गया था। लांस नायक मोहन नाथ गोस्वामी की वीरता के चर्चे आज भी उनकी बटालियन में होते हैं। आतंकियों के खात्मे की जब बात आती है तो इस जांबाज कमांडो का नाम सबकी जुबान पर आ जाता है। उन्होंने साल 2002 में सेना की इलीट पैरा कमांडो को ज्वाइन किया था। इलीट पैरा कमांडो यानी पल भर में दुश्मन को बिजली की तेजी से नेस्तनाबूत कर देने वाला जांबाज। आगे पढ़िए
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11 दिन में मार डाले थे 10 आतंकी

Story of Uttarakhand Martyr Commando Mohan Nath Goswami
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Commando Mohan Nath Goswami ने अपनी वीरता और साहस के चलते यूनिट के सबसे जांबाज फौजी के रूप में में ख्याति हासिल कर दी थी। साल 2015 में आतंकियों के खिलाफ अलग अलग ऑपरेशन चलाए गए। भारत मां के इस लाल ने 11 दिनों में 10 आतंकियों को मार गिराया था। उनकी आतंकियों से पहली मुठभेड़ साल 2015 अगस्त के आखिरी सप्ताह में हुई। जगह थी हंदवाड़ा..कमांडो मोहन नाथ गोस्वामी ने लश्कर-ए-तैयबा के तीन आतंकियों को ढेर किया। इस मुठभेड़ के 3 दिन बाद रफियाबाद में कमांडो मोहन नाथ गोस्वामी ने एक बार फिर 3 आतंकियों का खात्मा किया।

दोस्तों को बचाने के लिए दी जान

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कमांडो मोहन नाथ गोस्वामी ने इस दौरान आतंकी सज्जाद अहमद उर्फ अबु उबेदउल्लाह को जिंदा पकड़ने में कामयाबी भी हासिल की। इसके बाद मोहन नाथ गोस्वामी कुपवाड़ा के जंगलों में छेड़े गए आतंक विरोधी अभियान में शामिल हुए। यहां उन्होंने 4 दहशतगर्दों का सफाया किया। इसी दौरान वो आतंकियों की गोली का शिकार हो गए। मोहन ने साथियों को कवर फायर दी और घायल सैनिकों को मौके से निकाला और 4 आतंकियों को ढेर कर दिया था। उत्तराखंड के सपूत Commando Mohan Nath Goswami पर इस दौरान पैर और पीठ पर गोली लगी थी। अद्भुत पराक्रम के लिए उन्हें अशोक चक्र से सम्मानित किया गया था।


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