उत्तराखंड: शहर की नौकरी छोड़ घर लौटे धसपड़ गांव के युवा, खेती से कर रहे हैं शानदार कमाई
Almora का Dhaspad Village कुछ समय पहले तक पलायन से जूझ रहा था, आज वो दूसरे गांवों के लिए तरक्की की मिसाल बन गया है।
Jan 10 2022 6:41PM, Writer:कोमल नेगी
पलायन से जूझ रहे उत्तराखंड से अब रिवर्स पलायन की पॉजिटिव खबरें आने लगी हैं। कोरोना काल ने हमें ये अच्छी तरह समझा दिया है कि अपने घर, गांव और माटी से जुड़े रहना कितना जरूरी है। प्रदेश में ऐसे कई गांव हैं, जो कल तक वीरान नजर आते थे, लेकिन धीरे-धीरे यहां की रौनक लौटने लगी है। गांव में अकेले रह गए बुजुर्ग भी राहत महसूस कर रहे हैं। Almora का Dhaspad Village ऐसे ही गांवों में से एक है। धौलादेवी ब्लॉक के अंतर्गत आने वाले धसपड़ गांव में ग्राम्या और अन्य सहयोगी विभागों की सहभागिता से जल संवर्द्धन, बागवानी, कृषि और फूलों की खेती के क्षेत्र में शानदार काम हुए हैं।राष्ट्रीय जल पुरस्कार-2020 में इस गांव को देश के उत्तरी जोन का अव्वल गांव होने का गौरव प्राप्त हुआ है। एक वक्त था जब पहाड़ के दूसरे गांवों की तरह धसपड़ गांव भी पलायन से जूझ रहा था। गांव में पानी नहीं था, संसाधन नहीं थे। जिसकी वजह से युवा गांव छोड़कर शहरों में भटक रहे थे। फिर सीन में उत्तराखंड विकेंद्रीकृत जलागम विकास परियोजना ग्राम्या की एंट्री हुई। जिसके माध्यम से गांव में जल संरक्षण, जल संभरण और जल उपयोग संबंधी काम कराए गए। आगे पढ़िए
लगभग 118 मीटर नीचे तलहटी से सौर ऊर्जा संचालित पंप से गांव में पानी पहुंचाया गया। जल उपयोग के मामले में ग्रामीणों को आत्मनिर्भर बनाया गया। गांव में पानी आया तो यहां की रौनक भी लौटने लगी। लोगों ने व्यवसायिक खेती को अपनाकर रोजगार के अवसर जुटाने शुरू कर दिए। बागवानी और खेती के जरिए गांव के लोग तरक्की करने लगे तो शहरों में भटक रहे युवा भी गांव लौट आए और यहां काम कर अपने जीवन की दशा और दिशा बदलने लगे। ग्राम प्रधान दिनेश पांडेय बताते हैं कि पिछले दिनों एक दर्जन से ज्यादा युवा महानगरों से गांव लौटे हैं। ये युवा अब गांव में ही फूलों की खेती कर अच्छी कमाई कर रहे हैं। गांव की दशा बदलने में ग्राम्या के परियोजना उपनिदेशक एसके उपाध्याय और उनकी यूनिट के सभी अधिकारियों और सहयोगी विभागों का उल्लेखनीय योगदान रहा है। इस तरह Almora का Dhaspad Village कुछ समय पहले तक पलायन से जूझ रहा था, आज वो दूसरे गांवों के लिए तरक्की की मिसाल बन गया है। पानी की उपलब्धता ने यहां के ग्रामीणों को आत्मनिर्भर बनाया है।