उत्तराखंड विधानसभा चुनाव: देहरादून की राजपुर सीट का राजा कौन? ये हैं कांग्रेस-बीजेपी के महारथी
राज्य गठन के बाद से अब तक हुए चार विधानसभा चुनावों में यहां कांग्रेस और बीजेपी के बीच ही मुकाबला देखने को मिला है। फिलहाल ये सीट बीजेपी के पास है।
Jan 13 2022 8:00PM, Writer:कोमल नेगी
देहरादून की राजपुर विधानसभा सीट पर चुनाव लड़ने के लिए बीजेपी और कांग्रेस के पास मजबूत दावेदार हैं। यहां योग्य प्रत्याशी का चुनाव करने में बीजेपी और कांग्रेस दोनों के ही पसीने छूट रहे हैं। देहरादून की राजपुर विधानसभा सीट पर टिकट के लिए मुख्य रूप से बीजेपी और कांग्रेस में ही घमासान होता दिख रहा है। बाकी दलों के सामने दावेदारी को लेकर ऐसी चुनौती नहीं दिख रही। दोनों दलों से दो-दो प्रमुख दावेदार टिकट के लिए दावा ठोक रहे हैं, लेकिन किसके दावे में दम है, ये भी जल्द ही पता चल जाएगा।
फिलहाल ये सीट बीजेपी के पास है। राज्य गठन के बाद से अब तक हुए चार विधानसभा चुनावों में यहां कांग्रेस और बीजेपी के बीच ही मुकाबला देखने को मिला है और बीजेपी-कांग्रेस दोनों की टीमें बराबरी पर रही हैं। राजपुर सीट से दो बार बीजेपी ने जीत दर्ज कराई तो वहीं दो बार कांग्रेस बाजी मारने में कामयाब रही। अब इस सीट पर टिकट के दावेदारों के बारे में भी जान लेते हैं। आगे पढ़िए...
Rajpur Dehradun Seat - Candidates:
खजानदास: इनमें पहला नाम खजानदास का है, जो कि बीजेपी से टिकट मांग रहे हैं। खजानदास सीटिंग विधायक हैं और क्षेत्र में लगातार सक्रिय रहे हैं। स्नातक की शिक्षा हासिल करने वाले खजानदास की आमजन के बीच गहरी पैठ है। वो उनकी समस्याओं को लेकर मुखर रहे हैं। पूर्व में प्रदेश की सरकार में शिक्षा मंत्री भी रह चुके हैं।
रविंद्र कटारिया:राजपुर से बीजेपी के टिकट के दूसरे दावेदार रविंद्र कटारिया हैं। पॉलिटेक्निक कर चुके रविंद्र कटारिया की शिक्षित और युवा वर्ग के बीच अच्छी पकड़ मानी जाती है। वो साल 2012 में इसी सीट से विधायक का चुनाव लड़ चुके हैं।
राजकुमार:कांग्रेस के दावेदारों की बात करें तो इनमें राजकुमार टॉप पर हैं। राजकुमार ग्रेजुएट हैं और साल 2012 में इस सीट से विधायक भी रह चुके हैं। राजकुमार जनता के बीच बेहतर छवि के लिए जाने जाते हैं। आगे पढ़िए...
देवेंद्र सिंह:उनके अलावा कांग्रेस नेता देवेंद्र सिंह भी टिकट के लिए ताल ठोक रहे हैं। उच्च शिक्षा हासिल करने वाले देवेंद्र अपने सरल स्वभाव के लिए जाने जाते हैं। ओएनजीसी में कार्यरत रहते हुए वो समाजसेवा से जुड़े रहे।
बात करें राजपुर विधानसभा सीट की तो यहां अनुसूचित जाति, जनजाति और ओबीसी मतदाता सामान्य वर्ग से अधिक हैं। बीते पांच सालों में मलिन बस्तियों में रहने वालों को मालिकाना हक नहीं मिलने से इस बार बीजेपी को यहां कांग्रेस से तगड़ी चुनौती मिल सकती है। इस तरह चुनाव में मलिन बस्तियों की समस्याएं बड़ा मुद्दा होंगी।