उत्तराखंड: अब हरदा ने खेला दलित कार्ड, CM के लिए अपने फेवरेट नेता का नाम बताया
उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री Harish Rawat ने एक बार फिर दलित कार्ड खेला है। उन्होंने कहा है कि कांग्रेस के दलित नेता यशपाल आर्या में उत्तराखंड को संभालने की क्षमता है
Feb 4 2022 4:36PM, Writer:अनुष्का ढौंडियाल
देवभूमि उत्तराखंड... इस राज्य को अस्तित्व में आए दो दशक पूरे हो चुके हैं। मगर शर्म की बात है कि अब भी यहां पर चुनाव रोजगार, पलायन, स्वास्थ्य सुविधाओं या फिर अन्य जरूरी मुद्दों की बजाय धर्म और जाति तक ही सीमित रह जाते हैं। चाहे वह भाजपा हो या फिर कांग्रेस हर एक पार्टी बस धर्म और जाति की राजनीति करके अल्पसंख्यकों को अपनी तरफ करने की कोशिश करती है। बात की जाए कांग्रेस की तो कांग्रेस ने हाल ही में धर्म के नाम पर राजनीति की थी और एक अलग मुस्लिम यूनिवर्सिटी बनाने की मांग की थी। जिसके बाद से भारतीय जनता पार्टी कांग्रेस पर जमकर हमला कर रही है और तीखे तंज कस रही है। मुस्लिम यूनिवर्सिटी वाला मुद्दा अभी ठंडा भी नहीं हुआ था कि Harish Rawat ने एक बार फिर से जाति के नाम पर राजनीति करनी शुरू कर दी है। जी हां, उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हरदा ने एक बार फिर दलित कार्ड खेला है। उन्होंने कहा है कि कांग्रेस के दलित नेता यशपाल आर्या में उत्तराखंड को संभालने की क्षमता है और कुमाऊं से वही राज्य को नेतृत्व दे सकते हैं। आगे पढ़िए
इस बात को दलित कार्ड से कैसे जोड़कर देखा जा रहा है ये भी समझिए। इससे पहले भी हरदा उत्तराखंड में दलित कार्ड खेल चुके हैं। यह पहली बार नहीं है कि हरदा ने दलित कार्ड खेला हो। इससे पहले भी बीते साल पंजाब में दलित नेता चरणजीत चन्नी के मुख्यमंत्री बनने के बाद मुख्यमंत्री हरीश रावत ने उत्तराखंड में किसी दलित को मुख्यमंत्री बनाने को लेकर अपनी राय रख कर दलित कार्ड खेला था और बीते गुरुवार को एक बार फिर हरदा ने तीन पानी में अपने द्वारा कही गई पुरानी बातों को दोहरा कर यह साबित कर दिया है कि वाकई वे दलित नेता को कांग्रेस का चेहरा देखने के इच्छुक हैं। तीनपानी में आयोजित चुनावी सभा को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि पूर्व कैबिनेट मंत्री यशपाल आर्य में उत्तराखंड को संभालने की क्षमता है जिसके बाद से राजनीतिक गलियारों में हलचल मच गई है। आग पढ़िए
चुनावी सभा में उन्होंने कहा कि पूर्व मुख्यमंत्री नारायण दत्त तिवारी के बाद राज्य में चीजों को संभालने की हमने कोशिश की और अगर हम आगे उत्तराखंड कांग्रेस का चेहरा देखते हैं तो हमको केवल यशपाल आर्य नजर आते हैं। कौन कहां पैदा हुआ है उसका कोई महत्व नहीं है। महत्व इस बात का है कि व्यक्ति के अंदर कितनी क्षमता है। कल के उत्तराखंड को और आज के इस कुमाऊं को संभालने की क्षमता और ताकत यशपाल आर्य के अंदर ही है। उनकी इस बात को लेकर एक बार फिर से राजनीति गरमा गई है और सियासी गलियारों में हलचल मच गई है। बता दें पंजाब में पहला दलित मुख्यमंत्री बनने के बाद पूर्व सीएम हरीश रावत ने उत्तराखंड में भी दलित मुख्यमंत्री बनाने को लेकर अपनी राय रखी थी जिसके बाद कांग्रेस के अंदर और भाजपा में भी बेचैनी बढ़ गई थी। बता दें कि उत्तराखंड में तकरीबन 20% दलित वोट बैंक है और मैदानी सीटों पर सबसे अधिक दलित वोटर्स हैं। दलित वोटरों का उत्तराखंड की 20 से अधिक सीटों पर प्रभाव है। ऐसे में हरदा ने अपने दलित कार्ड खेलकर भाजपा की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। तो वहीं भाजपा भी हरदा के इस बयान के बाद चुप नहीं बैठेगी। अब हरीश रावत की बात का दलित वोटरों के ऊपर कितना असर पड़ता है यह तो कोई नहीं बता सकता मगर यह तो तय है कि Harish Rawat ने उत्तराखंड में दलित कार्ड खेलकर एक बार फिर से सियासी गलियारों में हलचल पैदा कर दी है।