चमोली त्रासदी का 1 साल, अब तक नहीं मिले 159 लोगों के शव
पिछले साल ऋषिगंगा घाटी में आई आपदा में 204 लोग लापता हुए थे, जिनमें से केवल 45 लोगों के ही शव बरामद हो पाए।
Feb 7 2022 6:07PM, Writer:कोमल नेगी
चमोली के रैणी गांव में आई आपदा का खौफनाक मंजर भुलाए नहीं भूलता। 7 फरवरी 2021...यही वो दिन था, जब हमेशा शांत रहने वाली ऋषिगंगा नदी ने ऐसा भयानक रूप लिया, जिसे देख हर कोई डर से सहम गया। आपदा का सैलाब गुजर चुका है, साथ ही एक साल का वक्त भी, लेकिन इस आपदा में जिन लोगों ने अपनों को खो दिया, उनकी जिंदगी में एक ऐसा सूनापन आ गया है, जिसे वक्त भी नहीं भर सकता। पिछले साल चमोली की ऋषिगंगा घाटी में आई आपदा में 204 लोग लापता हुए थे, जिनमें से केवल 45 लोगों के ही शव बरामद हो पाए। शेष 159 लोगों के शव अब तक नहीं मिले हैं। जो लोग अपने परिजनों को अंतिम विदाई भी नहीं दे सके, उनके दर्द को शब्दों में नहीं बताया जा सकता। रविवार को इस आपदा के दौरान सर्वाधिक नुकसान झेलने वाली एनटीपीसी में हादसे में मारे गए और लापता लोगों को याद किया गया.
पिछले साल आई आपदा में जो लोग लापता हुए, उनमें एनटीपीसी में कार्यरत 140 संविदा कर्मी भी शामिल थे। एनटीपीसी के क्षेत्रीय कार्यकारी निदेशक विनय कुमार ने रविवार को संविदा श्रमिकों की याद में बनाई गई वाटिका में एक पेड़ लगाया। विनय कुमार ने बताया कि आपदा में कंपनी को लगभग दो सौ करोड़ की क्षति हुई। उन्होंने ये भी बताया कि कंपनी जून 2024 तक बिजली उत्पादन शुरू कर देगी। कंपनी के महाप्रबंधक आरपी अहिरवार ने बताया कि जिस एचआरटी टनल में 2 किमी तक मलबा भर गया था, उसे 300 मीटर तक साफ किया जा चुका है। अब भी 1700 मीटर टनल साफ की जानी शेष है। एसएफटी टनल में भी एक किमी तक मलबा घुसा था, इसे आधा साफ कर लिया गया है। कंपनी ने 106 लोगों को मुआवजा देने की बात कही है। वहीं जोशीमठ के तहसीलदार प्रदीप नेगी ने बताया कि अभी तक 180 लोगों के परिजनों को मृत्यु प्रमाण पत्र जारी किए जा चुके हैं। तकनीकी कारणों से प्रदेश से बाहर के लोगों को अभी तक मृत्यु प्रमाणपत्र जारी नहीं किए गए हैं।