पहाड़ी टोपी की शान के लिए भी याद रहेगा ये चुनाव, PM समेत कई नेताओं ने बना दिया ट्रेंड
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पहाड़ी टोपी पहनी तो ये ट्रेंड बन गई। लोगों से जुड़ने के लिए तमाम बड़े नेताओं ने पहाड़ी टोपी को सिर का ताज बनाया। जिससे यहां की संस्कृति को खूब प्रसिद्धि मिली है।
Feb 13 2022 7:33PM, Writer:कोमल नेगी
उत्तराखंड की पांचवीं विधानसभा के चुनाव के लिए शनिवार को प्रचार थम गया। चुनाव प्रचार के आखिरी दिन बीजेपी, कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के तमाम बड़े नेताओं ने उत्तराखंड में हुंकार भरी। अब 14 फरवरी को मतदान होना है। वर्तमान विधानसभा चुनाव के दौरान तमाम पार्टियों के बड़े चेहरे उत्तराखंड में दिखे, लेकिन चुनावी मुद्दों से ज्यादा ऐसे दूसरे कई मुद्दे भी हैं, जो कि पिछले दिनों खूब सुर्खियों में रहे। इस चुनाव को पहाड़ी टोपी के लिए भी याद किया जाएगा। गणतंत्र दिवस परेड के दौरान पीएम नरेंद्र मोदी पहाड़ी टोपी पहने नजर आए थे। इसके साथ ही पहाड़ी टोपी टॉप फैशन बन गई। सत्ता ही नहीं विपक्ष के नेता भी पहाड़ी टोपी पहनकर जनता को रिझाते नजर आए। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी फिर सीएम पुष्कर सिंह धामी, पूर्व सीएम हरीश रावत, नेता विपक्ष प्रीतम सिंह के साथ ही कई दलों के नेताओं ने यह टोपी पहनी।
टोपी ट्रेंड में शामिल हुई तो असली पहाड़ी टोपी बनाम फैशनेबल पहाड़ी टोपी की बहस भी चालू हो गई। दरअसल उत्तराखंड में नाव के आकार की काली या फिर सफेद टोपी पहनी जाती थी। यहां फेटशिखोई, शिखोई, शिखोली, कनटोपला, कनछुपा, फरफताई, मुनौव बदाणी, बंदरमुख्या, चुफावाली टोपी, दुफड्क्या टोपी का चलन रहा है। इन दिनों नेता जिस ब्रह्मकमल वाली टोपी में नजर आ रहे हैं, उसे मसूरी निवासी समीर शुक्ला ने तैयार किया है। समीर मूलरूप से लखनऊ के रहने वाले हैं। समीर ने परंपरागत तिरछी टोपी को नया लुक दिया और इसमें ब्रह्मकमल जोड़ा। आज ये टोपी तमाम बड़े नेताओं के सिर पर सजी दिखाई देती है। इतिहासकार प्रयाग जोशी के अनुसार कुमाऊं में सामान्य तौर पर तिकोनी टोपी पहनी जाती है। जिसे गांधी टोपी भी कहा जाता है। इसे काले और सफेद रंग में खूब पसंद किया जाता है। हिमालयी क्षेत्र में विविध तरह की टोपी पहनी जाती हैं, जो कि यहां की संस्कृति का हिस्सा हैं।