उत्तराखंड में एक स्कूल ऐसा भी है..यहां प्रिसिपल साब बजाते हैं छुट्टी की घंटी
चंपावत का एक स्कूल ऐसा भी: बच्चों का भविष्य है भगवान भरोसे, स्कूल की घंटी भी बजाते हैं प्रिंसिपल
Feb 22 2022 8:04PM, Writer:अनुष्का ढौंडियाल
उत्तराखंड का चंपावत जिला...यहां पर पाटी विकासखंड के सर्वाधिक छात्र वाले श्री सिद्ध राजकीय इंटर कॉलेज रिठाखाल में अध्ययनरत छात्र एवं छात्राओं का भविष्य खतरे में है। यहां पर हालात कुछ ऐसे हैं कि ना तो पढ़ाने के लिए पर्याप्त शिक्षक हैं और ना ही विद्यालय में कर्मचारी हैं। आलम तो यह है कि प्रधानाचार्य को ही इंटरवल और छुट्टी की घंटी बजानी पड़ रही है। चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी के अभाव में अब स्कूल के प्रिंसिपल को यह काम मजबूरी में करना पड़ रहा है। बता दें कि 447 छात्र संख्या वाले स्कूल में 236 छात्राएं भी अध्यनरत हैं मगर चौंकाने वाली बात यह है कि कई महत्वपूर्ण विषयों के शिक्षक ही स्कूल में नहीं हैं जिस वजह से छात्र एवं छात्राओं की पढ़ाई बुरी तरह प्रभावित हो रही है और उनका भविष्य भगवान भरोसे है। विद्यालय की बदहाली से अभिभावकों के बीच में भी जबरदस्त विरोध देखने को मिल रहा है। इस कॉलेज में कई बच्चे शिक्षा के लिए दूर-दूर से कई कठिनाइयों का सामना करके शिक्षा ग्रहण करने आते हैं मगर स्कूल में उनके लिए पर्याप्त मात्रा में शिक्षक मौजूद ही नहीं हैं।
स्थाई शिक्षक के नाम पर विद्यालय में केवल अंग्रेजी के प्रवक्ता हैं जिनको प्रभारी प्रधानाचार्य का दायित्व सौंपा गया है। इतिहास, अर्थशास्त्र विषय में भी केवल दो ही गेस्ट शिक्षक हैं। इंटर कक्षाओं में संस्कृत विषय के 118 छात्र हैं मगर संस्कृत विषय के शिक्षक का पद खाली पड़ा हुआ है। हाई स्कूल में विज्ञान और अंग्रेजी जैसे महत्वपूर्ण विषयों के पद भी लंबे समय से रिक्त चल रहे हैं। विद्यालय में फर्नीचर होने के बावजूद भी छात्र-छात्राओं को फर्श पर बैठना पड़ रहा है। प्रभारी प्रधानाचार्य प्रदीप बिष्ट ने बताया की कक्षा ग्यारहवीं के कक्षा कक्ष में 79 छात्र हैं। उनको एक जगह बिठाना मुश्किल हो रहा है। तो वहीं कक्षा 12वीं में 82 छात्र एवं छात्राएं हैं एक कक्षा में 50 बच्चे ही बैठाए जा सकते हैं। तो वही विद्यालय में चतुर्थ श्रेणी और सफाई कर्मी का पद भी लंबे समय से रिक्त चल रहा है जिसकी वजह से प्रधानाचार्य एवं शिक्षकों को ही सुबह की प्रार्थना से लेकर शाम को छुट्टी की घंटी बजानी पड़ रही है। स्कूल में ढंग से साफ-सफाई भी नहीं होती है। कॉलेज में कक्षाओं के उचित प्रबंधन के लिए कम से कम 9 शिक्षकों की आवश्यकता है।
उन्होंने कहा कि कई बार शिक्षा विभाग के अधिकारियों से शिक्षकों और चतुर्थ श्रेणी कर्मियों की तैनाती के साथ ही कक्षा के कमरों को बड़ा करने की मांग की जा रही है मगर उनके ऊपर कोई भी ध्यान नहीं दिया जा रहा है। अभिभावकों ने बताया है कि पूरे क्षेत्र में 30 हजार से अधिक आबादी है और एकमात्र इंटर कॉलेज है जिस वजह से दर्जनों दूरस्थ गांव से छात्र-छात्राएं यहां पर अध्ययन के लिए आते हैं मगर यहां पर उनकी शिक्षा और उनके भविष्य के साथ खिलवाड़ हो रहा है। शिक्षकों की कमी के चलते उनकी पढ़ाई प्रभावित हो रही है। वहीं प्रमुख शिक्षा अधिकारी अरविंद गौड़ का कहना है कि कई स्कूलों में शिक्षकों एवं प्रधानाचार्य के पद रिक्त हैं और रिक्त पदों पर तैनाती के लिए विभाग को पत्र लिखा गया है और जल्द ही एक रिमाइंडर पत्र भी भेजा जाएगा और इस पर कार्यवाही की जाएगी।