उत्तराखंड: ‘पुष्पा’ स्टाइल में बेशकीमती लकड़ी ले जा रहे थे तस्कर, पुलिस को ‘फ्लावर’ समझे थे क्या?
दोनों आरोपी ‘पुष्पा’ के पुष्पराज के अंदाज में कांजल की तस्करी कर रहे थे, लेकिन धर लिए गए। आरोपियों के पास से 32 लाख से अधिक की प्रतिबंधित लकड़ी बरामद हुई।
Feb 23 2022 5:42PM, Writer:कोमल नेगी
लाल चंदन। लाल सोना कही जाने वाली वो बेशकीमती लकड़ी, जिस की तस्करी पर बनी फिल्म ‘पुष्पा-द राइज’ खूब सुर्खियों में है। लाल चंदन की लकड़ी की कीमत 60 से 90 हजार रुपये प्रति किलो है, लेकिन आज हम आपको उत्तराखंड में मिलने वाली उस लकड़ी के बारे में बताएंगे, जो कि लाल चंदन से कम कीमती नहीं है। कांजल के नाम से पहचाने जाने वाली इस लकड़ी की मार्केट में बहुत डिमांड है। आज प्रतिबंधित लकड़ी कांजल की बात इसलिए कर रहे हैं, क्योंकि उत्तरकाशी पुलिस ने इसकी तस्करी करने वाले दो तस्करों को गिरफ्तार किया है। दोनों आरोपी ‘पुष्पा’ के पुष्पराज के अंदाज में कांजल की तस्करी कर रहे थे, लेकिन धर लिए गए। आरोपियों के पास से 32 लाख से अधिक की प्रतिबंधित लकड़ी बरामद हुई। घटना शुक्रवार की है। आगे पढ़िए
गंगोरी बैरियर पर चेकिंग के दौरान पुलिस ने एक कार को रोका। पुलिस के रोकने पर युवक गंगोरी बैरियर को टक्कर मार कर भाग गए, लेकिन करीब 21 किमी दूर देवीधार बैरियर पर आरोपियों को पकड़ लिया गया। तलाशी लेने पर उनकी कार से प्रतिबंधित लकड़ी कांजल के 318 गुटके बरामद किए गए। जिनकी कीमत करीब 32 लाख बताई जा रही है। आरोपी युवकों की पहचान शरत सिंह निवासी डोंड, थलीसैंण पौड़ी गढ़वाल व पेमा निवासी उमला, नेपाल के रूप में हुई है। पूछताछ में आरोपियों ने बताया कि वो यह लकड़ी भटवाड़ी के सिल्ला क्षेत्र से लाए थे, जिसे बेचने के लिए सहारनपुर ले जाया जा रहा था। फिलहाल पुलिस युवकों के आपराधिक इतिहास की जानकारी जुटा रही है। उनके खिलाफ वन संरक्षण अधिनियम के तहत मुकदमा दर्ज किया गया है।