image: People of Uttarakhand trapped in Ukraine will be brought home

यूक्रेन में फंसे हर एक उत्तराखंडी को घर लाया जाएगा, जारी हुआ टोल फ्री नंबर..आप भी दें सूचना

उत्तराखंड से कई छात्र मेडिकल की पढ़ाई के लिए यूक्रेन गए हुए हैं, इनमें से कई छात्रों से परिजनों का संपर्क नहीं हो पा रहा। जिस वजह से उनकी चिंता बढ़ गई है।
Feb 25 2022 2:15PM, Writer:कोमल नेगी

रूस के हमले के बाद अब यूक्रेन में फंसे भारतीयों को निकालने के लिए विकल्पों पर चर्चा हो रही है। यूक्रेन के आसमान में धुआं-धुआं देख वो भारतीय परिवार घबराए हुए हैं, जिनके बेटे-बेटियां वहां फंसे हुए हैं।

People of Uttarakhand trapped in Ukraine

उत्तराखंड से भी कई छात्र मेडिकल की पढ़ाई के लिए यूक्रेन गए हुए हैं, इनमें से कई छात्रों से परिजनों का संपर्क नहीं हो पा रहा। जिस वजह से उनकी चिंता बढ़ गई है। यूक्रेन में भारतीय दूतावास ने लड़ाई छिड़ने के बाद अपने नागरिकों को सलाह दी है कि कीव की तरफ यात्रा करने वाले लोग फिलहाल अपने-अपने शहरों की ओर लौट जाएं। डर के माहौल के बीच उत्तराखंड सरकार ने भी यूक्रेन में फंसे नागरिकों के संबंध में अहम निर्देश जारी किए हैं। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के आदेश पर प्रमुख सचिव गृह आरके सुधांशु ने बीते दिन इसे लेकर आदेश जारी किया। आदेश में कहा गया कि वर्तमान में यूक्रेन में राजनीतिक एवं सामरिक परिस्थितियां अत्यंत संवेदनशील है।

उत्तराखंड से विभिन्न कार्यों जैसे शिक्षा एवं व्यवसाय हेतु राज्य के अनेक नागरिक यूक्रेन में निवासरत हैं, जिनकी सुरक्षा के लिये हम प्रतिबद्ध हैं। उत्तराखंड शासन द्वारा समस्त जनपदों के जिला मजिस्ट्रेट व वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक को निर्देशित किया गया है कि अपने-अपने जनपदों के यूक्रेन में फंसे नागरिकों का विवरण जैसे उनका नाम, उत्तराखंड राज्य एवं यूक्रेन में पता, मोबाइल नम्बर, ई मेल, पासपोर्ट नंबर जैसी जानकारियां हासिल कर तत्काल शासन को भेजें, ताकि उनकी सुरक्षा के संबंध में विदेश मंत्रालय, भारत सरकार के माध्यम से आगे की जरूरी कार्यवाही की जा सके। आदेश में सभी नागरिकों से यूक्रेन में फंसे परिजनों एवं संबंधियों के संबंध में हर जरूरी सूचना 112 नंबर पर देने का अनुरोध किया गया है। बता दें कि उत्तराखंड के कई छात्र-छात्राएं यूक्रेन की राजधानी कीव समेत लिवीव, खारकीव जैसे शहरों में फंसे हुए हैं। ये लोग मेडिकल की पढ़ाई के लिए यूक्रेन गए थे। युद्ध छिड़ने के बाद परिजन उनकी सुरक्षा को लेकर चिंतित हैं।


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