उत्तराखंड विधानसभा चुनाव: 4 सीटों पर निर्दलीय बिगाड़ सकते हैं BJP-कांग्रेस का खेल
निर्दलीय प्रत्याशी पलटा सकते हैं Uttarakhand Assembly Elections मे राजनीतिक समीकरण, भाजपा और कांग्रेस पर कहीं भारी न पड़ जाएं निर्दलीय प्रत्याशी
Feb 28 2022 5:10PM, Writer:अनुष्का ढौंडियाल
10 मार्च उत्तराखंड के लिए एक बड़ा दिन साबित होगा। यहां 10 मार्च को Uttarakhand Assembly Elections के Results घोषित होंगे और उसी दिन पता लगेगा कि आखिर जनता ने किस को अपना नेता चुना है। कई विधानसभाओं में जहां कांग्रेस का वर्चस्व दिख रहा है तो कई विधानसभाओं में ऐसा लग रहा है कि भारतीय जनता पार्टी बाजी मार लेगी। अब जीत किसकी होगी यह तो वक्त ही बताएगा मगर दोनों ही पार्टियों के सामने एक बड़ी समस्या है जो कि पूरा राजनीति का खेल पलटा सकती है। हम बात कर रहे हैं निर्दलीय प्रत्याशियों की। जी हां, निर्दलीय प्रत्याशियों में राजनीति समीकरण पलटने की क्षमता है। ऐसा इसलिए क्योंकि उन्होंने करीब से जनता को देखा है और उनको जनता की नब्ज टटोलनी आती है। उत्तराखंड में इस बार भी हर बार के चुनावों की तरह दोनों पार्टियों के कई प्रत्याशियों ने पार्टी के खिलाफ विरोधी स्वर बुलंद किए गए और निर्दलीय होकर चुनाव लड़ने का फैसला किया। भाजपा और कांग्रेस से अलग होकर निर्दलीय प्रत्याशी दोनों पार्टियों की किस्मत पलट सकते हैं। जी हां, निर्दलीय प्रत्याशी दोनों पार्टियों के प्रत्याशियों के लिए मुसीबत खड़ी कर सकते हैं।
इतिहास गवाह है कि उत्तराखंड के कई मुख्य विधानसभाओं में निर्दलीय प्रत्याशी पार्टियों के प्रत्याशियों के लिए मुसीबत बन कर सामने आए हैं और जीत में रोड़ा बने हैं। 2017 के चुनावों को ही देख लीजिए। केदारनाथ में निर्दलीय प्रत्याशी कुलदीप सिंह रावत बहुत ही कम वोट के साथ हारे थे और उन्होंने भाजपा और कांग्रेस को कड़ा मुकाबला दिया था। इस बार भी वे निर्दलीय सीट से चुनाव लड़ रहे हैं और ऐसे में भाजपा की प्रत्याशी शैला रानी रावत और कांग्रेस के मनोज रावत के लिए चुनाव जीतना मुश्किल हो सकता है। यमुनोत्री में भी कांग्रेस से अलग हुए प्रत्याशी संजय डोभाल भी निर्दलीय चुनाव लड़ रहे हैं। कुछ हफ्ते पहले ही कांग्रेस ने दीपक बिजल्वाण को कांग्रेस की तरफ से यमुनोत्री में प्रत्याशी के तौर पर चुना था जिसके बाद संजय डोभाल ने विरोधी स्वर बुलंद कर लिया और कांग्रेस से अलग होकर निर्दलीय चुनाव लड़ने का फैसला लिया। वहीं भाजपा की सीटिंग एमएलए केदार सिंह यमुनोत्री से चुनाव लड़ रहे हैं अब देखना यह है कि यमुनोत्री से चुनाव लड़ रहे दो मुख्य प्रत्याशियों पर कहीं निर्दलीय प्रत्याशी भारी ना पड़ जाए।
धनोल्टी विधानसभा में भी मुकाबला रोचक साबित होगा। बता दें कि धनोल्टी में निर्दलीय एमएलए प्रीतम सिंह पंवार ने कुछ महीने पहले ही भाजपा ज्वाइन की और उनको भाजपा ने इस बार चुनावों में पार्टी की तरफ से प्रत्याशी घोषित किया जिसके बाद बीजेपी के महावीर सिंह ने निर्दलीय होकर चुनाव लड़ने का फैसला लिया। वहीं टिहरी में भी कांग्रेस के किशोर उपाध्याय और सीटिंग बीजेपी एमएलए धन सिंह नेगी ने नॉमिनेशन प्रक्रिया के 2 दिन पहले ही सीट बदल ली और धन सिंह नेगी को कांग्रेस से टिकट दे दिया गया था। वहीं उपाध्याय को भाजपा ने टिहरी से प्रत्याशी घोषित किया। इन दोनों प्रत्याशियों के साथ में टिहरी गढ़वाल से दिनेश धनाई भी अपनी अलग पार्टी बनाकर चुनाव लड़ रहे हैं। ऐसे में टिहरी में भी दोनों पार्टियों के प्रत्याशियों के लिए यह मुकाबला कड़ा होने वाला है। इस बार उत्तराखंड में भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस दोनों की तरह रुझान लगभग लगभग बराबर देखने को मिल रहा है किसी सीट पर भाजपा के समर्थन में लोग अधिक है तो कहीं पर कांग्रेस पार्टी का जादू है, तो कई विधानसभा ऐसे हैं जो कि दोनों ही पार्टियों के खिलाफ है और उनका मानना है कि उनके क्षेत्र में दोनों ही पार्टियों ने कुछ भी काम नहीं किया है। ऐसे में उत्तराखंड में किस पार्टी की सरकार बनेगी इसका उत्तर फिलहाल कोई भी नहीं दे पा रहा है मगर कुल मिलाकर Uttarakhand Assembly Elections results जो भी हों, बेहद मजेदार और रोचक होंगे।