उत्तराखंड की 416 सड़कों पर वाहन चलाना मना है, जानिए आखिर क्या है ये माजरा
परिवहन विभाग और निर्माण एजेंसियों के बीच फंसी इन 416 सड़कों पर कमर्शियल वाहनों की आवाजाही नहीं हो पा रही, जिसका खामियाजा लोगों को भुगतना पड़ रहा है।
Mar 5 2022 4:51PM, Writer:कोमल नेगी
चलिए अब आपको उत्तराखंड की उन ‘अवैध’ सड़कों के बारे में बताते हैं, जिन पर कमर्शियल वाहन चलाने पर आपको भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है। राज्य में 416 ऐसी सड़कें हैं, जो बनकर तैयार हैं, लेकिन परिवहन विभाग ने इन पर वाहन चलाने की अनुमति अभी तक नहीं दी है। जिन सड़कों पर वाहन चलाने की अनुमति नहीं मिलती, परिवहन विभाग उन पर सुरक्षा के इंतजाम शुरू नहीं करता। अवैध मार्गों पर हादसा होने पर वाहन मालिक को बीमा क्लेम का लाभ नहीं मिल पाता।
Driving is prohibited on 416 roads of Uttarakhand
सबसे पहले पौड़ी जिले की बात करते हैं, जहां 42 सड़कों में खामियां मिली हैं। यहां किनाथ से जडाऊखांद तक बनी सड़क पर बस के संचालन की अनुमति नहीं मिल सकी है, जिससे लोग परेशान हैं। रुद्रप्रयाग में ऐसी 59 सड़कें हैं। जो कि यात्री और कमर्शियल वाहनों के संचालन के लिए एक से लेकर पांच साल से मंजूरी की राह देख रही हैं। टिहरी में कमर्शियल वाहनों के संचालन के लिए 188 सड़कें मंजूर हैं। यहां 20 महत्वपूर्ण सड़कों के प्रस्ताव दो साल से पेंडिंग हैं। पिथौरागढ़ में कमर्शियल वाहन, बस, टैक्सी, मैक्सी आदि के संचालन के लिए परिवहन विभाग से 372 सड़क स्वीकृत हैं। जबकि 52 और नए रूट के लिए आवेदन आ चुके हैं। आगे पढ़िए
बागेश्वर में इस वक्त 149 सड़कें परिवहन विभाग की मंजूरी का इंतजार कर रही हैं। इन पर सफर करना खतरे से खाली नहीं है। चंपावत में भी 25 सड़कों को परिवहन विभाग से पिछले छह महीने से मंजूरी नहीं मिली। वर्तमान में जिले में सार्वजनिक यात्री और मालवाहक वाहनों के लिए 87 सड़कें ही स्वीकृत हैं। नैनीताल में भी आठ महत्वपूर्ण सड़कों के प्रस्ताव अक्टूबर 2021 से लटके हुए हैं। अब अवैध सड़कों पर वाहन चलाने के नुकसान के बारे में भी बात कर लेते हैं। सुरक्षा के लिहाज से यह ज्यादा ठीक नहीं है। जिन सड़कों को मंजूरी नहीं मिलती, परिवहन विभाग उन पर सुरक्षा के इंतजाम नहीं करता। परिवहन विभाग से अस्वीकृत सड़क पर हादसे में वाहन स्वामी, चालक को इंश्योरेंस क्लेम करने में परेशानी होती है। जोखिम लेकर कोई यात्री या कमर्शियल वाहन चलाता है तो दुर्घटना होने की स्थिति में न तो मुआवजा मिलेगा और न ही बीमा आदि का भुगतान। बहरहाल परिवहन विभाग और निर्माण एजेंसियों के बीच फंसी इन 416 सड़कों पर कमर्शियल वाहनों की आवाजाही नहीं हो पा रही, जिसका खामियाजा लोगों को भुगतना पड़ रहा है।