उत्तराखंड: रानीखेत में कुदरत का करिश्मा देखिए, 15 साल बाद खिला दुर्लभ सफेद बुरांश
Ranikhet में 15 साल बाद खिला दुर्लभ white buransh flower, खास बात ये है कि इस अद्भुत प्रजाति के इकलौते पेड़ पर डेढ़ दशक बाद सफेद फूल आभा बिखेर रहे हैं।
Mar 16 2022 6:36PM, Writer:कोमल नेगी
कुदरत हमें कदम-कदम पर चौंकाती है। इस बार अल्मोड़ा के रानीखेत में भी कुदरत का अनोखा करिश्मा देखने को मिला है।
Ranikhet white buransh flower
यहां दुर्लभ सफेद बुरांश के फूल खिले हैं। बुरांश उत्तराखंड का राज्य पुष्प है। पहाड़ों में लाल बुरांश बहुतायत में खिलते हैं, लेकिन सफेद बुरांश के दर्शन बेहद दुर्लभ हैं। क्योंकि ये आमतौर पर उच्च हिमालयी क्षेत्रों में ही खिलता है। इस बार रानीखेत के देवीढूंगा मिश्रित वनक्षेत्र में सफेद बुरांश की छटा बिखर रही है। खास बात ये है कि इस अद्भुत प्रजाति के इकलौते पेड़ पर डेढ़ दशक बाद सफेद फूल आभा बिखेर रहे हैं। इस तरह 15 साल के इंतजार के बाद कहीं जाकर यहां सफेद बुरांश देखने को मिले हैं। कुछ वनस्पति विशेषज्ञ इसे अस्थायी बदलाव तो कुछ उच्च हिमालय जैसी ठंड व नमी को अहम वजह मान रहे हैं। राज्य पुष्प बुरांश की सफेद दुर्लभ प्रजाति 2900 से 3500 मीटर की ऊंचाई पर ही पाई जाती है।
कुमाऊं की बात करें तो ये पिथौरागढ़ के खलियाटॉप क्षेत्र में खूब खिलते हैं, लेकिन समुद्रतल से महज 1860 मीटर की ऊंचाई पर अगर सुर्ख लाल बुरांश वाले जंगल के बीच सफेद फूल वाला पेड़ दिखे तो हैरानी होना स्वाभाविक है। इस दुर्लभ पेड़ की देखरेख होमफार्म निवासी प्रकृति प्रेमी हिमांशु उपाध्याय कर रहे हैं। वह बताते हैं कि पेड़ को बचाने के लिए इसे मां दुर्गा को समर्पित कर दिया गया है। सफेद बुरांश की यह प्रजाति रोडोड्रेंड्रॉन कैंपेनुलेटम है। 15 साल बाद इस पर एक बार फिर सफेद फूल खिले हैं। बता दें कि तीन साल पहले जोशीमठ के सेलंग गांव स्थित जंगल में भी सफेद बुरांश खिला था। तब विशेषज्ञों ने तर्क दिया था कि वनस्पति प्रजातियों में पहली व दूसरी पीढ़ी में मॉर्फोलॉजिकल बदलाव आ जाता है। अनुवांशिक गुणों में परिवर्तन भी इसका बड़ा कारण हो सकता है। बहरहाल शिवालिक रेंज में एल्पाइन जोन की इस अनूठी प्रजाति ने नए सिरे से शोध के द्वार खोले हैं। वन अनुसंधान केंद्र कालिका ने भी अध्ययन कर इसके संरक्षण की कवायद तेज कर दी है। Ranikhet में 15 साल बाद खिला दुर्लभ white buransh flower, ये गजब है.